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UP का मिनी जामताड़ा:बच्चों से लेकर महिलाएं तक करती हैं मुखबिरी, अंजान आहट के साथ ही साइबर ठग कर दिए जाते हैं अलर्ट

जामताड़ा झारखंड का वह गांव जो देश में साइबर ठगी(फिशिंग) के लिए प्रसिद्ध है। इस पर एक वेब सीरीज भी आई थी। लेकिन अब जामताड़ा से 1200 किलोमीटर दूर मथुरा का गांव इस साइबर ठगी के लिए कुख्यात होता जा रहा है। इस गांव की कुल आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा किसी न किसी रूप में साइबर फ्रॉड से जुड़ा है। चाहे वह मोबाइल के जरिए लोगों को फंसाने का काम हो,चाहे कैरियर हों या फिर मुखबिरी करने का काम। इस काम में साइबर ठगों के घर की महिलाएं,बच्चे सभी अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं। अंतरराज्यीय सीमा का ठग उठाते हैं लाभ गोवर्धन तहसील का गांव देवसेरस UP का मिनी जामताड़ा बनता जा रहा है। यह गांव राजस्थान के डीग जिले की सीमा से महज 4 किलोमीटर दूर है। जिसका लाभ इस गांव में बैठे साइबर ठग उठाते हैं। यह लोग कई बार पुलिस को गुमराह कर सीमा के आसपास से कॉल कर लोगों को फंसाते है। जिसकी बजह है अगर कोई इनकी लोकेशन ट्रेस करे तो वह कभी यूपी तो कभी राजस्थान दिखाती है। इसके अलावा पुलिस की दविश पड़ने पर यह शातिर राजस्थान में भाग जाते हैं। ऐसे होती है मुखबिरी साइबर ठगों को बचाने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं इनके बच्चे और महिलाएं। साइबर ठगों से जुड़ी महिलाएं और बच्चे किसी न किसी बहाने से गांव से बाहर जाने वाले रास्तों पर घूमते रहते हैं। महिलाएं पानी भरने के बहाने रास्तों पर लगे हैंडपंप पर रहती हैं। जैसे ही गांव में अंजान आहट होती है यह साइबर ठगों को अलर्ट कर देती हैं। जिससे वह सतर्क हो जाते हैं और सुरक्षित स्थान पर निकल जाते हैं। घर की हालत बदहाल साइबर ठगों ने पुलिस से बचने के लिए घरों को बदहाल हालत में रखा है। अगर कभी पुलिस उनकी संपत्ति पर कार्यवाही करे तो वह उसकी हालत देखकर ही बदल जाए। लेकिन सूत्र बताते हैं इन साइबर ठगों ने अपने आलीशान ठिकाने गांव में नहीं बल्कि राजस्थान और हरियाणा में बना रखे हैं। वह भी रिश्तेदारों के नाम से। सूत्र बताते हैं इन लोगों ने इन भट्टे,दूध की डेयरी,बेल्डिंग के काम कर रखे हैं। कैरियर इस तरह करते हैं काम साइबर ठग केवल मुखबिर पर ही नहीं बल्कि अपने काम के लिए कैरियर के रूप में लड़के भी रखते हैं। इस सबके लिए कमीशन दिया जाता है। कैरियर के रूप में काम करने वाले लड़के जाल में फंसे शख्स को इनके पास पहुंचाते हैं। यह लड़के शहर के अलग अलग हिस्सों में जाते हैं और शख्स को अपने साथ लेकर साइबर ठगों के ठिकाने पर पहुंचा देते हैं। इसके अलावा यह लड़के फर्जी आधार कार्ड,सिम कार्ड उपलब्ध कराने का भी काम करते हैं। समय के साथ बदलते गए ठगी के तरीके साइबर ठग समय के साथ बदलते रहे। यह लोग पहले देश के अलग अलग हिस्सों में लोगों को फोन कर सोने की ईंट बेचने के नाम पर ठगते थे। जाल में फंसा व्यक्ति जब सोने की ईंट लेने आता तो यह लोग उसे बंधक बनाकर रकम ऐंठते थे। लेकिन जब इनके कारनामों की जानकारी लोगों को हुई तो इन्होंने OLX और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए पुरानी वस्तुओं को बेचने का काम किया। कार या अन्य सामान का यह फोटो डाल देते थे जिसके बाद खरीददार इनके पास आता तो यह उससे रकम लूट लेते थे। इस पर भी लगाम लगी तो इन्होंने यह साइबर ठगी का धंधा शुरू किया।


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