सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बस्ती रेंज के डीआईजी संजीव त्यागी की कथित आपत्तिजनक ऑडियो क्लिप से जुड़े मामले में सोमवार को बड़ा आदेश दिया। अदालत ने साफ कहा है कि ऑडियो क्लिप की निष्पक्ष फॉरेंसिक जांच होनी चाहिए, जिससे यह साबित हो सके कि इसमें सुनी जा रही आवाज वास्तव में अधिकारी की है या नहीं। इसके लिए डीआईजी संजीव त्यागी को तीन हफ्तों के भीतर तेलंगाना स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब (TSFSL), हैदराबाद में अपना वॉइस सैंपल देना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उस वरिष्ठ मुस्लिम नागरिक इस्लामुद्दीन अंसारी के खिलाफ दर्ज पूरा आपराधिक केस रद्द कर दिया, जिसने यह क्लिप अधिकारी को भेजकर सिर्फ इतना पूछा था- “क्या यह आपकी आवाज है?” “यह पुलिस के अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है” – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- “जिस व्यक्ति ने सिर्फ आवाज की पुष्टि के लिए ऑडियो भेजा, उसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। यह पुलिस के अधिकारों का दुरुपयोग और न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है।” कोर्ट के अनुसार, अधिकारी से सवाल किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बावजूद कार्रवाई उस नागरिक पर कर दी गई जिसने सिर्फ सच्चाई जानने की कोशिश की थी। क्या है पूरा मामला…
वरिष्ठ मुस्लिम नागरिक इस्लामुद्दीन अंसारी को एक ऑडियो क्लिप मिली। क्लिप में कथित तौर पर तत्कालीन एसपी संजीव त्यागी की आवाज में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द बोले गए थे। किसी भी शिकायत से पहले अंसारी ने व्हाट्सऐप पर त्यागी को क्लिप भेजकर पूछा- “क्या यह आपकी आवाज है?” लेकिन त्यागी ने जवाब देने के बजाय उल्टा अंसारी के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करवाई। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने घृणा फैलाने वाला कंटेंट प्रसारित किया। राहत के लिए अंसारी ट्रायल कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक गए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। अंततः वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। UP सरकार बोली- “हम केस वापस लेना चाहते हैं”
सुनवाई के दौरान, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह यह केस वापस लेना चाहती है क्योंकि- “इसमें दम नहीं है और यह सिर्फ एक काउंटर-ब्लास्ट केस था।” इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा- “एक वरिष्ठ अधिकारी से सिर्फ आवाज की पुष्टि पूछने पर नागरिक पर केस दर्ज कर दिया गया, यह समझ से परे है।” SC ने लगाया फॉरेंसिक जांच का आदेश, अगली सुनवाई 12 जनवरी को
सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश में कहा- ऑडियो का फॉरेंसिक टेस्ट TSFSL, हैदराबाद में होगा। TSFSL के डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार बनाया गया है कि जांच पूरी निष्पक्षता से हो। DIG संजीव त्यागी का वॉइस सैंपल 3 हफ्तों में लिया जाए। उन्हें हैदराबाद लैब में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। इस्लामुद्दीन अंसारी ऑरिजिनल क्लिप या लिंक लैब को उपलब्ध कराएं। रिपोर्ट 31 जनवरी 2026 तक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा हो। अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को होगी। अंसारी के साथ किसी भी प्रकार की प्रताड़ना न हो — SC की सख्त चेतावनी
कोर्ट ने यूपी पुलिस को साफ चेतावनी दी- जांच के दौरान अंसारी पर किसी भी प्रकार का दबाव, प्रताड़ना या बदले की कार्रवाई न की जाए। अगर ऐसा होता है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।
https://ift.tt/4N0ecHr
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply