उत्तर प्रदेश बिहार सहित देश के कई क्षेत्रों में मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इन क्षेत्रों में पेरिनेटल मृत्यु दर और नवजात रोग-क्षमता के उच्च आँकड़ों ने विशेषज्ञों को लंबे समय से चिंता में डाला है। इसी पृष्ठभूमि में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक एडवांस्ड कार्डियोटोकोग्राफी (CTG) मास्टरक्लास आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना और समय पर जीवनरक्षक चिकित्सकीय हस्तक्षेप सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम का आयोजन 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक बीएचयू में आयोजित किया जायेगा। विभिन्न राज्यों से आयेंगे डॉक्टर मास्टरक्लास की शुरुआत इस महत्वपूर्ण चर्चा से होगी कि उन्नत CTG प्रशिक्षण मौजूदा समय में क्यों अत्यावश्यक है। विश्वभर में गर्भावस्था के दौरान भूण हाइपोक्सिया—यानी ऑक्सीजन की कमी—के कई मामले सामने आते हैं, जो तीव्र (acute), उप-तीव्र (sub-acute) या दीर्घकालिक (chronic) रूप में विकसित हो सकते हैं। ऐसे मामलों के समय पर पता न चल पाने से नवजात में सिरेब्रल पाल्सी, पेरिनेटल रोग-क्षमता और यहाँ तक कि पेरिनेटल मृत्यु जैसी गंभीर परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते सही निदान और उचित प्रबंधन से इन जटिलताओं को काफी हद तक रोका जा सकता है। पहली बार बीएचयू में होगा CTG पर क्लास वर्तमान में CTG, यानी कार्डियोटोकोग्राफी, भूण की निगरानी का प्रमुख साधन है। लेकिन इसकी व्याख्या में इंटर-ऑब्ज़र्वर और इंट्रा-ऑब्ज़र्वर भिन्नता सामान्य रूप से पाई जाती है—विशेषकर जूनियर डॉक्टरों में। इन भिन्नताओं के कारण कई बार भ्रूण हाइपोक्सिया की पहचान देर से होती है, जिससे आपातकालीन सीज़ेरियन सेक्शन जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों में देरी हो सकती है। मास्टरक्लास का एक बड़ा उद्देश्य इसी समस्या को संबोधित करना है—यानी CTG ट्रेसिंग की सटीक, मानकीकृत और वैज्ञानिक व्याख्या का प्रशिक्षण देना। यह क्लास पहली बार बीएचयू में चलने जा रहा। अब जानिए क्या है सीटीजी कार्डियोटोकोग्राफी (सीटीजी) गर्भावस्था के दौरान, आमतौर पर तीसरी तिमाही में, भ्रूण की हृदय गति (कार्डियो-) और गर्भाशय के संकुचन (-टोको-) को रिकॉर्ड (-ग्राफी) करने का एक तकनीकी साधन है। निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन को कार्डियोटोकोग्राफ कहा जाता है , जिसे आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक भ्रूण मॉनिटर के रूप में जाना जाता है । सीटीजी का उपयोग भ्रूण के संकट के लक्षणों की पहचान के लिए किया जा सकता है।
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