सुल्तानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर इलाज में लापरवाही के कारण मरीजों की मौत का सिलसिला जारी है। हाल ही में, करौंदीकला के शोधनपुर निवासी 60 वर्षीय उर्मिला देवी की अस्पताल में भर्ती होने के बाद मृत्यु हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। उर्मिला देवी को शुक्रवार शाम 4 बजे उल्टी की शिकायत के बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी बेबी ओझा ने बताया कि रात भर इलाज के लिए डॉक्टरों को बुलाया जाता रहा, लेकिन कोई चिकित्सक उनकी मां को देखने नहीं आया। शनिवार सुबह उर्मिला देवी ने दम तोड़ दिया। बेबी ओझा ने आरोप लगाया कि उनकी मां को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। भर्ती के बाद चिकित्सकों को जानकारी दी गई, लेकिन मामूली उपचार के बाद उन्हें चौथे तल पर छोड़ दिया गया। बेटी ने रात भर इलाज के लिए गुहार लगाई, पर चिकित्सकों और स्टाफ ने ध्यान नहीं दिया और न ही कोई सुविधा प्रदान की गई। इस घटना के दौरान, अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने मोबाइल कैमरे पर रिकॉर्डिंग करने पर आपत्ति जताई। जब विवेक ओझा ने अपनी बड़ी मां की इलाज के अभाव में मौत की बात कही, तो उन्हें उल्टा मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी गई। बीते 18 अप्रैल को 50 वर्षीय मैसर डेढ़ घंटे इमरजेंसी में इलाज के लिए तड़पती रही। न डॉक्टर ने देखना गवारा समझा न नर्स ने इंजेक्शन देना आखिर उसने इलाज के आभाव में वही दम तोड़ दिया। परिजनों ने हंगामा काटा तो अस्पताल में तैनात गार्डो ने अपने बूटो की धमक से आवाज को दबा डाला। 6 मई को लोहरामऊ निवासी अंजू पुत्री दयाराम को ब्रेन टीबी की शिकायत पर अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया गया और जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट भी नहीं आ पाई थी कि दूसरे दिन दोपहर में उनका निधन हो गया। इसके बाद परिवारीजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों का कहना था कि वार्ड में भर्ती करने के बाद चिकित्सक ने उनका गंभीरता पूर्वक इलाज नहीं किया। जिससे मरीज की मौत हो गई। वही बीते 15 जून को अयोध्या जिले के बीकापुर के चौरे बाजार निवासी शिवम 21 वर्ष को दोपहर में सांप ने काट लिया। परिजन उसे पहले कूरेभार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखते हुए मरीज को सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। मृतक के भाई के अनुसार, इमरजेंसी में एक डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया और चले गए। मरीज की हालत बिगड़ने पर परिजनों ने स्टॉफ से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इलाज के अभाव में शिवम की मौत हो गई। इससे नाराज परिजनों ने इमरजेंसी में तोड़फोड़ की। घटना में कुछ परिजन भी घायल हो गए। इमरजेंसी का स्टॉफ मौके से भाग गया। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम में भेजा गया। ईएमओ की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कराया गया था। प्राचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव के प्रभार संभालने के बाद से लगातार अस्पताल में इलाज में लापरवाही से मौत, गार्डो द्वारा मरीज के तीमारदारों से अभद्रता, उन पर दबाव बनाने के लिए केस किए जा रहे लेकिन शासन स्तर से न कार्रवाई हो रही न सिस्टम को दुरुस्त किया जा रहा। हैरत की बात ये है कि इस प्रकार राजकीय मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्था, इलाज में लापरवाही और प्राचार्य पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद यहां की व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त कराने के लिए न तो डीएम न ही कोई जनप्रतिनिधि यहां कदम रखने को तैयार नहीं है। वही विपक्ष तो पूरी तरह कुंभकरणी नींद सो रहा है। …….
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