लखनऊ में राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने 12 नवंबर को सरयू नदी के तट से “रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो” अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसे बुनियादी मुद्दों को केंद्र में रखकर शुरू किया गया। संजय सिंह के अनुसार यह दोनों मुद्दे राज्य की विशाल आबादी को सीधे प्रभावित करते हैं—युवा, किसान, बुनकर, महिलाएं, रेडी-पटरी चलाने वाले और वे सभी लोग जो आज बेरोजगारी और पेपर लीक जैसी घटनाओं की मार झेल रहे हैं। 13 दिनों की यात्रा में मिला व्यापक जनसमर्थन संजय सिंह ने बताया कि उनकी पदयात्रा के दौरान काफी संगठनों ने समर्थन दिया। कहीं आशा बहुओं का संगठन मिला, कहीं मनरेगा मजदूरों ने साथ दिया, तो कहीं शिक्षक और रोजगार सेवक खुले तौर पर उनके अभियान से जुड़े। जब यात्रा प्रयागराज पहुंची तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता पूरे 13 दिनों तक लगातार उनके साथ चले और अलग-अलग जिलों में हजारों की संख्या में लोगों ने सभाओं में भाग लेकर अपनी आवाज़ जोड़ी। उनका दावा था कि यह समर्थन बता रहा है कि प्रदेश की जनता रोजगार और न्याय को लेकर बेहद चिंतित है। सरकार असली मुद्दे छोड़कर नकली बहसें करवा रही है संजय सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की मूल समस्याओं पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं, अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड सप्ताह में सिर्फ एक बार हो रहा है, मोमबत्ती की रोशनी में ऑपरेशन किए जा रहे हैं, एक्स-रे कागज़ पर किए जा रहे हैं—इसके बावजूद सरकार कोई जवाब नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि पेपर लीक जैसे मामलों से युवा परेशान हैं, लेकिन समाधान की बजाय सरकार उन पर लाठी मारती है, आवाज़ उठाने पर मुकदमे लिख देती है और कई बार NSA तक लगा देती है। संजय सिंह के अनुसार सरकार का उद्देश्य असली मुद्दों को दबाना और नकली मुद्दों को बढ़ावा देना है। “प्रदेश में नफरत और हिंसा का माहौल बनाया जा रहा है” संजय सिंह ने यूपी में हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में डर और नफरत का वातावरण तैयार किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कहीं किसी कथा-वाचक का सिर मंगवाया जाता है, कहीं एक बुजुर्ग पर पेशाब कर दी जाती है, कहीं वाल्मीकि समाज के युवक की भीड़ हत्या कर देती है, तो कहीं CRPF जवान को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता। संजय सिंह के अनुसार सरकार और उसकी मशीनरी मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाती है, लेकिन उस नफरत के नाम पर बुलडोज़र की मार व्यापारी, दलित, रेडी-पटरी वाले और गरीब लोग भी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि झोपड़ियां गिर रही हैं, दुकानें टूट रही हैं, लेकिन सरकार इसे व्यवस्था सुधार का नाम दे रही है। अभियान अब 8 प्रांतों में चलेगा, 25–29 दिसंबर को अगला चरण संजय सिंह ने कहा कि 13 दिन की यात्रा खत्म जरूर हुई है, लेकिन उनका अभियान खत्म नहीं हो रहा। “रोजगार दो—सामाजिक न्याय दो” का आंदोलन अब पूरे उत्तर प्रदेश के 8 प्रांतों में चलाया जाएगा। बुंदेलखंड, ब्रज, पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल, काशी, अयोध्या सहित सभी क्षेत्रों में पदयात्राएं निकाली जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि 25 से 29 दिसंबर के बीच यह यात्रा रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा जिलों में निकाली जाएगी। उनका कहना है कि इस चरण में वे शहरों के लोगों, बाजारों के व्यापारियों और आम नागरिकों को इस अभियान से जोड़ने का प्रयास करेंगे। SIR को लेकर बड़ा आरोप—“गन पॉइंट पर एजेंडा लागू कराया जा रहा है” प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे तीखा हमला संजय सिंह ने SIR प्रक्रिया को लेकर किया। उन्होंने कहा कि पिछले 19 दिनों में पूरे देश में SIR से जुड़े दबाव के कारण 17 BLO और कर्मचारी अपनी जान गंवा चुके हैं। उनके अनुसार मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी ऐसे और मौतों की खबरें सामने आई हैं। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि BLO पर गन पॉइंट की तरह दबाव डाला जा रहा है और यह सब मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार मोदी सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए करवा रहे हैं। “यूपी में 563 लोग SIR की भेंट चढ़े, 181 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता टर्मिनेट” संजय सिंह के कहा कि उत्तर प्रदेश में SIR के नाम पर अब तक 563 लोगों को निशाना बनाया गया है। इनमें से 181 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह टर्मिनेट कर दिया गया, कई लोगों को सस्पेंड किया गया और कई को नोटिस दिया गया। उन्होंने इसे “तानाशाही” बताते हुए कहा कि SIR घुसपैठ रोकने का बहाना है, लेकिन असल उद्देश्य लाखों वोट काटना है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 80 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। उन्होंने सवाल उठाया—क्या 80 लाख लोग घुसपैठिए थे? उन्होंने बताया कि एक रिटायर्ड IAS अधिकारी विद्यासागर और उनकी पत्नी का नाम भी काट दिया गया। “अब क्या उन्हें भी बांग्लादेश भेज दोगे?” “60-60 हजार नाम हर विधानसभा में हटाए जा रहे—यह चुनावी घोटाला है” संजय सिंह ने कहा कि बिहार समेत कई राज्यों में एक-एक विधानसभा से 60–60 हजार वोटरों के नाम हटाए गए हैं। उनका दावा है कि यही खेल अब यूपी में भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह SIR नहीं, बल्कि “सबसे बड़ा चुनावी घोटाला” है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले संसद सत्र में आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को चैन से नहीं बैठने देगी। साथ ही कहा कि 17 BLO की मौत का मुकदमा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर दर्ज होना चाहिए। 2003 का हवाला देना झूठ—तब IR था, SIR नहीं चुनाव आयोग की तुलना को खारिज करते हुए संजय सिंह ने कहा कि 2003 में IR प्रक्रिया हुई थी, SIR नहीं। वह प्रक्रिया भी 8 महीने चली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आज 22 साल बाद एक “विशेष गहन पुनरीक्षण” किया जा रहा है और वह भी सिर्फ एक महीने की समय-सीमा में। उनके अनुसार यह किसी भी तरह संभव नहीं, जब तक कि वोट हटाने की मंशा न हो। उन्होंने यह भी कहा कि जाति के आधार पर फॉर्म दिए जा रहे हैं—मुसलमानों को कम फॉर्म, यादवों को कम फॉर्म, और जिस समाज ने भाजपा को वोट नहीं दिया, उनके घर कम फॉर्म भेजे जा रहे हैं। अगर बिहार में 80 लाख घुसपैठिए हैं, तो प्रधानमंत्री इस्तीफा दें संजय सिंह ने कहा कि बिहार में पूरी जांच के बाद सिर्फ 315 विदेशी नागरिक मिले हैं, जिनमें 78 मुसलमान और बाकी नेपाल के नागरिक थे। “अगर 80 लाख नाम घुसपैठिए थे, तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। और गृहमंत्री को अपने झूठ पर देश से माफी मांगनी चाहिए।” संसद सत्र में होगी बड़ी लड़ाई संजय सिंह ने अंत में कहा कि SIR लोकतंत्र पर हमला है। यदि चुनाव से डेढ़ साल पहले ही वोट हटाने की कार्रवाई शुरू हो गई, तो चुनाव का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर संसद में बड़ी लड़ाई लड़ेगी और सरकार को जवाब देने पर मजबूर करेगी।
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