आगरा में दो दशक से लंबित गुंडा एक्ट के एक पुराने मामले का आखिरकार फैसला आ गया। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अचल प्रताप सिंह ने धारा-10 के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी श्याम पुत्र श्री चन्द को साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश दिए। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष उन परिस्थितियों को साबित नहीं कर सका, जिनके आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जा सके। क्या था पूरा मामला नगला तेजा, थाना शाहगंज निवासी श्याम को वर्ष 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत जिला बदर किया था। आदेश के कुछ समय बाद शाहगंज थाना पुलिस को उपनिरीक्षक वी.पी. वर्मा के पास सूचना आई कि जिला बदर किया गया श्याम अपने घर में ही छुपकर रह रहा है। जानकारी पुख्ता मानते हुए पुलिस टीम ने घर पर दबिश दी और श्याम को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। उसी समय उसके खिलाफ यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम की धारा-10 में मुकदमा दर्ज किया गया। अदालत में क्यों नहीं टिक पाए आरोप सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। न तो यह सिद्ध हो पाया कि जिला बदर आदेश का उल्लंघन जानबूझकर किया गया था, और न ही पुलिस की कार्रवाई को समर्थन देने वाले ठोस सबूत सामने आए। इसी आधार पर अदालत ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया। 22 साल बाद मिली राहत लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद श्याम को आखिरकार न्याय मिला। अदालत ने कहा कि बिना पर्याप्त साक्ष्यों के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। आरोपी की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार सिंह और हिमांशु जरारी ने प्रभावी तरीके से पक्ष रखा।
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