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1992 करोड़ के घोटाले में 23 हजार पेज की चार्जशीट:ईडी प्रयागराज का वाराणसी के जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज घोटाले में बड़ा एक्शन

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वाराणसी की जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज में हुए लगभग दो हजार करोड़ के घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी प्रयागराज यूनिट ने पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज केस में 23,000 पेज की प्रॉसीक्यूशन कंप्लेंट यानी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। जांच में सामने आया है कि कंपनी ने बैंक से लिए गए करोड़ों रुपये फर्जी कंपनियों में दिखाकर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किए और इस तरह बैंकों को करीब 1992 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। कंपनी की 878.67 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी अटैच की जा चुक है। क्या है मामला?
ईडी ने यह जांच पूर्व में सीबीआई लखनऊ की ओर से दर्ज एफआईआर और आरोप पत्र के आधार पर शुरू की थी। सूत्रों का कहना है कि जांच में पता चला कि जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इसके प्रमोटर सत्य नारायण झुनझुनवाला, उनके सहयोगियों और कागजी कंपनियों ने मिलकर एक सुनियोजित आपराधिक साजिश रची। 80 करोड़ से ज्यादा की कार्यशील पूंजी का दुरुपयोग
कंपनी ने कोलकाता स्थित अनिल खेमका द्वारा नियंत्रित कागजी संस्थानों के माध्यम से 80 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण राशि और कार्यशील पूंजी को डाइवर्ट किया। ये धनराशि आगे समूह की कंपनियों, प्रमुख प्रबंधन कर्मियों और सहयोगियों को भेजी गई। इस धन का इस्तेमाल जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के करीब 49.06% शेयर अधिग्रहण के लिए किया गया, जिससे प्रमोटरों और सहयोगियों ने कंपनी पर मजबूत नियंत्रण बना लिया। फर्जी अकाउंट्स और बैलेंस शीट से हेराफेरी
जांच में यह भी सामने आया कि जब कंपनी घाटे में जाने लगी, तब प्रबंधन ने लाभ-हानि खातों, स्टॉक इन्वेंटरी, शेयर स्टॉक जैसे वित्तीय रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया। फर्जीवाड़े के आधार पर कंपनी ने बैंकों से अतिरिक्त ऋण हासिल किए, जो बाद में एनपीए में बदल गए। इस तरह की धोखाधड़ी के कारण बैंकों के संघ को लगभग 1992 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। संपत्तियों को बचाने के लिए दो ट्रस्ट बनाए
जांच में यह भी सामने आया कि वित्तीय संकट गहराते ही प्रमोटरों ने गबन की गई रकम और संपत्तियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए महालक्ष्मी इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और रत्न प्रिया इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट बनाया। इन ट्रस्टों के माध्यम से लेन-देन कर शेयरों और परिसंपत्तियों का जटिल नेटवर्क तैयार किया गया, ताकि कुर्की से बचा जा सके। अब तक कितनी संपत्ति कुर्क हुई
31 जुलाई 2024: 814.31 करोड़
29 अप्रैल 2025: 64.36 करोड़
कुल कुर्की का आंकड़ा: 878.67 करोड़ (कुर्क की गई संपत्तियां जेवीएल समूह की कागजी कंपनियों नीलांबर ट्रैक्सिम एंड क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड, बेस्टार कंक्रीट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, बैंड बाज़ार डेवलपर्स LLP, सुप्रीम टेक्नोफैब्स प्राइवेट लिमिटेड, सोनम झुनझुनवाला, कोमल केडिया और रामा शंकर खेमका के नाम पर हैं) चार्जशीट में क्या ?
23,000 पेज की चार्जशीट में शामिल हैं
फंड डाइवर्जन की पूरी ट्रेल
कागजी कंपनियों व ट्रस्टों का नेटवर्क
शेयर ट्रांसफर की सर्किट लेन-देन
फर्जी बैलेंस शीट और दस्तावेज
टॉप मैनेजमेंट की संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के प्रमाण
बैंकों को हुए नुकसान का पूरा ब्यौरा अब आगे ट्रायल चलेगा
चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब मामला कोर्ट में ट्रायल की ओर बढ़ रहा है। ईडी ने संकेत दिए हैं कि आगे और पूछताछ, अतिरिक्त अटैचमेंट्स और आरोप तय होने की प्रक्रिया भी हो सकती है।


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