महराजगंज में 36 साल पुराने एक भूमि विवाद में न्यायालय सिविल जज (जूनियर डिवीजन) ने महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। अदालत ने अमीन को निर्देशित किया है कि मूलवाद संख्या 1017/1989 (रामनरेश बनाम प्रतिवादीगण) में पारित एकपक्षीय निर्णय का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए प्रतिवादियों को विवादित भूमि से बेदखल किया जाए। इस आदेश के तहत 17 भवनों व दुकानों को ध्वस्त करने की तैयारी है। यह मामला 1989 में गोरखपुर में दायर किया गया था और वर्ष 2014 में महराजगंज स्थानांतरित हुआ। वादी के अधिवक्ता अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि साक्ष्यों के आधार पर 24 मई 2022 को वादी के पक्ष में फैसला आया था। इसमें प्रतिवादियों को 30 दिन के भीतर कब्जा हटाने का आदेश दिया गया था न्यायालय ने 22 अगस्त 2025 को पारित आदेश में स्पष्ट किया कि न तो मूल वाद और न ही इजरा वाद की कार्यवाही किसी भी न्यायालय से स्थगित की गई है। वादी द्वारा शपथपत्र प्रस्तुत कर यह तथ्य दर्ज कराया गया कि 24 मई 2022 का निर्णय अब भी प्रभावी है और इसे अपास्त नहीं किया गया है। अदालत ने यह भी पाया कि 23 मई 2025 को अमीन को डिक्री के निष्पादन हेतु रिट जारी की गई थी। इसके बाद अमीन ने केवल वादी पक्ष के अधिवक्ता की उपस्थिति में विवादित भूमि की पैमाइश कर नक्शा प्रस्तुत किया। हालांकि, डिग्री के तहत अपेक्षित निष्पादन—यानी प्रतिवादियों को बेदखल कर कब्जा बहाल कराना—अब तक नहीं किया गया था। इस कारण अदालत ने अमीन को पुनः कठोर निर्देश जारी करते हुए कहा कि 31 मई 2022 की डिक्री के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और निर्माणों को हटवाकर भूमि वादी को दिलाई जाए। वर्तमान में विवादित भूमि पर कई भवन व दुकानें स्थापित हैं। निष्पादन को सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिए श्यामदेउरवा पुलिस ने पीएसी और अतिरिक्त बल की मांग की है। न्यायालय ने 17 भवनों के डिमोलिशन और कब्जा बहाली का स्पष्ट निर्देश दिया है।
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