हापुड़। 14 दिसंबर रविवार को शुक्र के अस्त होने के साथ ही सभी शुभ-मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। 15 दिसंबर की देर रात से खरमास भी शुरू हो जाएगा। यह अवधि 14 जनवरी 2026 तक रहेगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और मकर संक्रांति मनाई जाएगी। शुक्र अस्त और खरमास के कारण इस अवधि में विवाह, गृहप्रवेश, उपनयन (जनेऊ), अन्नप्राशन, मुंडन और कुआँ पूजन जैसे सभी मांगलिक संस्कार नहीं किए जा सकेंगे। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित के.सी. पाण्डेय ‘काशी वाले’ के अनुसार, खरमास 14 जनवरी तक रहेगा, लेकिन शुक्र 31 जनवरी 2026 तक अस्त रहेगा। इस कारण वैवाहिक और अन्य प्रमुख शुभ कार्य 3 फरवरी 2026 से ही शुरू हो पाएंगे। डेढ़ महीने की अवधि में मंत्रजप, तप, पूजा-पाठ, कथा और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। मकर संक्रांति का शुभ दिन और समय धर्मग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है। वर्ष 2026 में, यह 14 जनवरी को कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि पर सूर्य अपराह्न 3 बजकर 04 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बनेंगे। ऋतुअनुसार विशेष महत्व 14 जनवरी 2026 को षटतिला एकादशी, अनुराधा नक्षत्र और बुधवार का संयोग मन्दाकिनी नामक संक्रांति बनाएगा, जिसे अत्यंत शुभ माना गया है। सूर्यास्त से पूर्व के दो घंटे विशेष रूप से फलदायी रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन राजा भागीरथ के प्रयासों से राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष मिला था। इसलिए इस दिन गंगासागर में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गायों के दान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
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