इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बिजनौर की जिलाधिकारी जसजीत कौर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान हुई, जब जिलाधिकारी ने नोटिस के बावजूद अपना जवाब दाखिल करने के लिए न्यायालय के मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय से संपर्क नहीं किया। न्यायालय ने बिजनौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेश दिया है कि वारंट की तामील कराकर अगली सुनवाई पर जिलाधिकारी जसजीत कौर को न्यायालय में उपस्थित कराया जाए। मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 जनवरी की तारीख तय की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल पीठ ने विक्रम सिंह द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर पारित किया है। याचिका के माध्यम से न्यायालय को बताया गया था कि न्यायालय ने 22 अप्रैल 2025 को बिजनौर की जिला स्तरीय जाति जांच समिति को आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता की जाति निर्धारित करने की मांग वाली अर्जी पर तीन माह के भीतर निर्णय लिया जाए। याचिका में आरोप लगाया गया कि आदेश की प्रति जिलाधिकारी को सौंपे जाने के बावजूद, जो उक्त समिति की अध्यक्ष भी हैं, तीन माह बीत जाने पर भी उनकी अर्जी पर नियमानुसार कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसी को न्यायालय के आदेश की अवमानना बताते हुए जिलाधिकारी को दंडित करने की मांग की गई थी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता ने न्यायालय को सूचित किया कि जिलाधिकारी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय से संपर्क ही नहीं किया, जिसके कारण उनकी ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा सका। जिलाधिकारी द्वारा जवाब दाखिल न करने के कारण ही न्यायालय ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
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