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हरदोई में सड़क सुरक्षा माह अभियान:व्यापक जागरूकता कार्यक्रम, यातायात व्यवस्था में सुधार की चुनौती बरकरार

हरदोई में 1 से 30 नवंबर 2025 तक सड़क सुरक्षा माह मनाया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर आयोजित इस अभियान के तहत, पुलिस अधीक्षक हरदोई के मार्गदर्शन में पूरे जिले के थाना क्षेत्रों, स्कूल-कॉलेजों, औद्योगिक क्षेत्रों और प्रमुख चौराहों पर व्यापक जागरूकता और प्रवर्तन गतिविधियां संचालित की गईं। अभियान के दौरान जिले के 285 स्कूल-कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 30,000 छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। 1000 से अधिक एनसीसी और एनएसएस कैडेट्स ने नुक्कड़ नाटकों, रैलियों, सिग्नेचर कैंपेन और गोष्ठियों में हिस्सा लिया। इस अवधि में 57 संगोष्ठियां, 117 निबंध प्रतियोगिताएं, 55 चित्रकला प्रतियोगिताएं और 63 क्विज प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिनमें सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। अभियान के तहत 36,636 पैदल यात्रियों को सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक किया गया। प्रवर्तन कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 19,288 चालान किए और 29.3 लाख रुपये से अधिक का शमन शुल्क वसूला। इस अवधि में 227 वाहन सीज किए गए। विभिन्न उल्लंघनों में 14,330 हेलमेट चालान, शराब पीकर गाड़ी चलाने के 256 मामले, सीट बेल्ट उल्लंघन के 384 मामले, तीन सवारी के 1,394 मामले और मोबाइल फोन के उपयोग के 179 मामले दर्ज किए गए। x अभियान के तहत 36,636 पैदल यात्रियों को सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक किया गया। प्रवर्तन कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 19,288 चालान किए और 29.3 लाख रुपये से अधिक का शमन शुल्क वसूला। इस अवधि में 227 वाहन सीज किए गए। विभिन्न उल्लंघनों में 14,330 हेलमेट चालान, शराब पीकर गाड़ी चलाने के 256 मामले, सीट बेल्ट उल्लंघन के 384 मामले, तीन सवारी के 1,394 मामले और मोबाइल फोन के उपयोग के 179 मामले दर्ज किए गए। हालांकि, सरकारी आंकड़े प्रभावशाली दिखते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी चुनौतीपूर्ण है। शहर के प्रमुख चौराहे जैसे कोतवाली रोड, घंटाघर, नुमाइश चौराहा, सिनेमा चौराहा और सोल्जर बोर्ड पर आज भी लगभग रोजाना जाम की स्थिति बनी रहती है। बेतरतीब पार्किंग, बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालक, ओवरलोड ऑटो और तेज रफ्तार वाहन अभी भी यातायात नियमों का उल्लंघन करते देखे जा सकते हैं। यह अभियान निश्चित रूप से महत्वपूर्ण रहा, लेकिन इसके वास्तविक प्रभाव का आकलन सड़कों की मौजूदा स्थिति से होता है। जागरूकता में वृद्धि हुई है, फिर भी यातायात व्यवस्था को पूरी तरह पटरी पर लाने की चुनौती अभी भी बनी हुई है।


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