हरदोई में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक मामला सामने आया है, जहां एंबुलेंस न मिलने पर एक महिला ने ई-रिक्शा में बच्चे को जन्म दिया। बाद में महिला अस्पताल पहुंचने पर उसे स्ट्रेचर के लिए भी इंतजार करना पड़ा। यह घटना कोतवाली देहात क्षेत्र के मोहलिया शिवपार निवासी सर्वेश कुमार की पत्नी हेमलता (44) के साथ हुई। सर्वेश कुमार ने बताया कि गुरुवार को उनकी पत्नी हेमलता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उन्होंने एंबुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन बात पूरी होने से पहले ही फोन कट गया और एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। कोई और विकल्प न होने पर सर्वेश ने एक ई-रिक्शा बुलाया और पत्नी को लेकर महिला अस्पताल के लिए रवाना हो गए। अस्पताल जाते समय शहर के आनंद सिनेमा के सामने ई-रिक्शा में ही हेमलता का प्रसव हो गया और उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। प्रसव के बाद हेमलता को तेज रक्तस्राव होने लगा, जिससे उनके पति सर्वेश घबरा गए। किसी तरह वह पत्नी को लेकर महिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। अस्पताल के गेट पर कोई स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं था। सर्वेश ने परिसर में लगभग 15 मिनट तक स्ट्रेचर की तलाश की और अंततः दूसरी मंजिल पर एक स्ट्रेचर मिला। उन्हें स्वयं ही स्ट्रेचर नीचे लाना पड़ा और ई-रिक्शा चालक व एक आशा कार्यकर्ता की मदद से पत्नी को अस्पताल के अंदर ले गए। अस्पताल में छह से अधिक स्ट्रेचर उपलब्ध होने के बावजूद गेट पर स्ट्रेचर न मिलना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। इन स्ट्रेचरों के रखरखाव की जिम्मेदारी एमपीडब्लू को सौंपी गई है। लेकिन मरीजों को गेट से वार्ड तक लाने के लिए अक्सर स्टाफ या स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं होता। इस मामले पर सीएमएस डॉ. सुबोध ने स्वीकार किया कि अस्पताल में पर्याप्त स्ट्रेचर हैं, लेकिन उन्हें गेट पर रखने के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जे.बी. गोगई ने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जा रही है और लापरवाही के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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