हरदोई के कछौना नगर पंचायत क्षेत्र में तालाब की जमीन पर बने अवैध निर्माणों को हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब से अवैध कब्जे हटाने का आदेश पारित किया है। कोर्ट ने एक माह के भीतर कार्रवाई अनिवार्य की है। इस जमीन पर वर्तमान में 12 से अधिक मकान, दीवारें और रास्ता बना हुआ है। इन अवैध निर्माणों के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद यह आदेश आया है। याचिकाकर्ता राखी सिंह की ओर से पैरवी कर रहे हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनूप कुमार वाजपेई ने बताया कि जनहित याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि तालाब की भूमि पर वर्षों से अवैध निर्माण हो रहे हैं, जिससे जल संरक्षण को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कोर्ट में लेखपाल की रिपोर्ट, खतौनी अभिलेख और आईजीआरएस जांच जैसे प्रमाण प्रस्तुत किए, जो भूमि के तालाब होने और उस पर अवैध कब्जे की पुष्टि करते हैं। वाजपेई ने अदालत को अवगत कराया कि शिकायतकर्ता की ओर से कई बार शिकायतें की गईं और जांच में कब्जे की पुष्टि भी हुई। इसके बाद राजस्व विभाग ने धारा 67 के तहत कार्रवाई कर फाइल एसडीएम संडीला को भेजी थी, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई लंबित रही। उन्होंने दलील दी कि तालाब की भूमि सार्वजनिक उपयोग की है और उसके संरक्षण के लिए कब्जा हटाना आवश्यक है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसडीएम संडीला द्वारा दिए गए निर्देशों का संज्ञान लेते हुए नगर पंचायत कछौना के अधिशासी अधिकारी को एक माह के भीतर कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पूरी कार्यवाही कानूनसम्मत, पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए। अधिवक्ता वाजपेई ने कहा कि यह आदेश पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक हित की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि समय पर कार्रवाई हुई तो क्षेत्र में जलभराव और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में बड़ी राहत मिलेगी।
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