अयोध्या के हनुमानगढ़ी परिसर के गोविंदगढ़ स्थित आश्रम में शुक्रवार रात संत महेश दास उर्फ़ स्वामी महेश योगी को जिंदा जलाने की कोशिश का मामला सामने आया था। संत की तहरीर पर राम जन्मभूमि थाना पुलिस जांच कर रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि यह विवाद वसंतीय पट्टी के अंतर्गत आने वाले आश्रम की करीब 15 करोड़ की संपत्ति को लेकर है। मामला आश्रम के महंती के अधिकारों से जुड़ा है। संत महेश दास ने आरोप लगाया था कि बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। उनके साथ संत लड्डू दास, मन्नू दास, मणिराम दास, ममता देवी, नीतू देवी, खुशबू और शिवानी भी षड्यंत्र में शामिल हैं। आरोप यह भी लगाया कि पहले उन्हें दुष्कर्म के फर्जी केस में फंसाने की कोशिश की गई थी। दैनिक भास्कर ने बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास से बात करनी चाही तो उन्होंने अस्वस्थता जताते हुए टिप्पणी से इनकार कर दिया। उनकी उम्र करीब 80 वर्ष की है। इसके बाद हमारी टीम ने संत लड्डू दास से मुलाकात की। लड्डू दास बोले– आरोप पूरी तरह झूठे, आग लगाने का दावा संदिग्ध लड्डू दास ने कहा कि महेश योगी द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। बाहर से ज्वलनशील पदार्थ फेंककर हत्या की कोशिश का दावा संदिग्ध है। मैं प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग करता हूं। अगर मैं दोषी पाया जाता हूं तो कानून मुझे सख्त से सख्त सजा दे, मुझे मंजूर है। महिलाओं पर लगाए आरोप पर उन्होंने कहा कि महेश योगी ने हमारी बेटियों और बहनों पर जो आरोप लगाए हैं, वह पूरी तरह झूठे और घृणित हैं। ममता देवी और मन्नू दास पिछले 40 वर्षों से गुरु रामप्रीत दास की सेवा में रहे थे। हमारी भांजी अलग किराये के कमरे में रहकर बच्चों को पढ़ाती है। बड़ी बेटी हैदराबाद में नौकरी कर रही है और छोटी अयोध्या में पढ़ाई कर रही है। क्या है पूरा विवाद संत लड्डू दास ने बताया कि बसंतिया पट्टी के तहत आने वाले गोविंदगढ़ स्थित आश्रम का संचालन पहले गुरुदेव रामप्रीत दास करते थे, उन्होंने अपनी वसीयत में आधी संपत्ति मन्नू दास और आधी संतोष दास के नाम की थी। महेश दास को हनुमानगढ़ी के पंचों ने चेला नहीं माना। इसी कारण उनसे आश्रम खाली करने को कहा गया। इसके बाद महेश दास ने फर्जी वसीयत बनाकर कोर्ट से स्टे ले लिया। हमने स्टे के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दी है और सभी दस्तावेज प्रशासन के पास हैं। आरोप यह भी है कि महेश दास ने मन्नू दास को धमकी दी थी कि “आश्रम छोड़ दो, नहीं तो राम सहारे दास जैसी हालत होगी।” बता दें, राम सहारे दास की 2023 में हत्या हुई थी। संत ने बताया कि रही बात अन्न जल न मिलने की तो यह पंचों का फैसला था, जो महेश दास को चेला न माने जाने के बाद का है, जिसके बाद से ही हनुमानगढ़ी से मिलने वाली सेवाएं और अन्न-जल बंद कर दिया गया। इसमें हमारा कोई योगदान नहीं है। हनुमानगढ़ी की व्यवस्था पंचायती है, यहां सभी निर्णय संतों और महंतों द्वारा लिया जाता है। महेश योगी का दावा महेश योगी ने बताया कि “रात 2:45 बजे कमरे की जाली काटकर अज्ञात लोगों ने ज्वलनशील पदार्थ फेंका। मैं जमीन पर सो रहा था। गर्मी महसूस हुई तो आंख खुली और देखा कि धुआं और आग फैली हुई है। शिष्यों की मदद से आग बुझाई, लेकिन सामान जलकर राख हो गया। यह मेरी हत्या की साजिश है, मैं बच गया, नहीं तो मर जाता।” पुलिस का बयान सीओ आशुतोष तिवारी ने कहा कि “संत महेश योगी की तहरीर पर कमेटी गठित कर जांच शुरू की गई है। प्रथम दृष्टया मामला करोड़ों की जमीन के विवाद से जुड़ा प्रतीत होता है। आग लगने की घटना भी संदिग्ध लग रही है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान कर रही है।”
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