सुबोधानंद फाउंडेशन शाखा लखनऊ द्वारा बौद्ध शोध संस्थान में गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। प्रथम दिवस के सत्संग में पूज्य स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती महाराज ने साधना के स्वरूप पर प्रवचन दिया। स्वामी ध्रुव महराज ने क्रियात्मक, भावनात्मक और विचारात्मक साधनाओं की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि गीता में भगवान ने जीव को क्रियात्मक साधना से ऊपर उठकर भावनात्मक स्तर पर साधना करने का निर्देश दिया है। उन्होंने आगे कहा कि सारी सृष्टि मनोमय है और इसका प्रपंच का उपादान एवं निमित्त कारण स्वयं परमात्मा ही हैं, इसलिए यह जगत मिथ्या है। स्वामी जी के अनुसार, सर्वरूप में परमात्मा का ही प्राकट्य है और इस जगत को देखकर जीव को अपने भीतर परमात्मा का अनुभव करना ही सच्ची उपासना है।स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती महाराज ने यह भी बताया कि जीव को ऐश्वर्य की प्राप्ति तप से होती है, क्योंकि तप परमात्मा की विभूति है। इस अवसर पर नीलम बजाज परिवार, रवि शर्मा सहित अनेक भक्तजन उपस्थित रहे।
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