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सैफई विश्वविद्यालय में पहली बार हुई टखने की आर्थोस्कोपी:अस्थि रोग विभाग ने दूरबीन से की सर्जरी, चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (यूपीयूएमएस) सैफई ने चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। संस्थान के अस्थि रोग विभाग में पहली बार टखने की दूरबीन सर्जरी यानी एंकल आर्थोस्कोपी सफलतापूर्वक की गई है। अब तक यहां घुटने और कंधे की आर्थोस्कोपी ही नियमित रूप से होती रही थी, लेकिन टखने की आर्थोस्कोपी शुरू होने से स्पोर्ट्स इंजरी और छोटे जोड़ों के जटिल मामलों के उपचार में विभाग की क्षमता और अधिक मजबूत हो गई है। यह उपलब्धि विभाग के उन्नयन और आधुनिक ऑर्थोस्कोपिक सेवाओं के विस्तार की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है। सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सुनील कुमार और डॉ. हरीश कुमार के निर्देशन में की गई। डॉक्टरों के अनुसार जिस टेंडो-ऐकिलिस टेंडन की मरम्मत इस सर्जरी में की गई, वह मानव शरीर की सबसे मजबूत कण्डराओं में से एक होती है, जो एड़ी को पिंडली की मांसपेशियों से जोड़ती है और चलने, दौड़ने तथा कूदने की मुख्य ताकत प्रदान करती है। अचानक तेज गति से दौड़ने, ऊंचाई से कूदने, फिसलने या पहले से कमजोर कण्डरा पर दबाव बढ़ने से यह टेंडन टूट जाती है, जिसके साथ ‘चटाक’ जैसी आवाज, तेज दर्द और चलने में असमर्थता जैसी समस्याएं दिखाई देती हैं। आधुनिक तकनीक से की जाने वाली आर्थोस्कोपिक या मिनी-ओपन सर्जरी में कम चीरा लगता है और मरीज जल्दी सामान्य गतिविधियों में लौट आता है। ऑपरेशन में डॉ. राजीव, डॉ. ऋषभ, डॉ. दिविक, डॉ. विकास सहित पूरी सर्जिकल टीम ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. पंकज सिंह और उनकी टीम ने सफल सर्जरी के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान किया। विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार ने उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अस्थि रोग विभाग अत्याधुनिक तकनीकों से पूरी तरह सुसज्जित है और माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ माह पूर्व कुलपति द्वारा आर्थोस्कोपी एंड स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक का उद्घाटन किया गया था, जिसके बाद विभाग में जोड़ संबंधी दूरबीन सर्जरी के क्षेत्र में लगातार नई सफलताएं मिल रही हैं। अब तक टखने जैसे छोटे जोड़ों की आर्थोस्कोपी के लिए मरीजों को दिल्ली और लखनऊ जैसे महानगरों का रुख करना पड़ता था, जिससे समय और धन की काफी खपत होती थी। लेकिन अब यह उन्नत सुविधा यूपीयूएमएस सैफई में कम लागत पर उपलब्ध है और आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के लिए पूरी तरह निःशुल्क प्रदान की जा रही है। यह उपलब्धि न केवल संस्थान, बल्कि पूरे क्षेत्र के मरीजों के लिए राहत और भरोसा बढ़ाने वाली साबित हो रही है।


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