सुलतानपुर में नाबालिग लड़की के अपहरण के सात साल पुराने मामले में पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को सात साल कैद की सजा सुनाई है। पॉक्सो कोर्ट के जज नीरज कुमार श्रीवास्तव ने दोषी जगदीश पर दस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। यह पूरी राशि पीड़िता को दी जाएगी। विशेष लोक अभियोजक रमेश चंद्र सिंह ने बताया कि यह घटना सात साल पहले कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में हुई थी। पीड़िता की मां ने 30 जुलाई 2018 को एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, नारायनपारा गांव का जगदीश 9 जुलाई 2018 को उनकी नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया था और उस पर शादी का दबाव बनाया था। बाद में वह पीड़िता को घर छोड़कर चला गया था। काफी दिनों तक थाने के चक्कर लगाने के बाद 30 जुलाई 2018 को रात 11:15 बजे अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। विवेचक निरीक्षक संजय सिंह ने मामले की जांच की और पीड़िता का कोर्ट में बयान दर्ज कराया। जांच के दौरान नाबालिग के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त जगदीश के खिलाफ 28 सितंबर 2018 को आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद, न्यायालय ने जगदीश को दोषी करार दिया। उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत सुलतानपुर पुलिस की प्रभावी पैरवी के परिणामस्वरूप यह सजा सुनाई गई है। पुलिस अधीक्षक सुलतानपुर के कुशल निर्देशन और अपर पुलिस अधीक्षक सुलतानपुर के पर्यवेक्षण में, अपराधियों के विरुद्ध न्यायालय में चल रहे अभियोगों में मॉनिटरिंग सेल द्वारा प्रभावी पैरवी की गई। इसी के तहत पॉक्सो कोर्ट-12 सुलतानपुर द्वारा जगदीश को दंडित किया गया।
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