सीतापुर में ‘आजाद हिन्द भगत संगठन’ के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब और बाबर का पुतला फूंका। यह विरोध प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में बाबर के नाम पर मस्जिद निर्माण के विरोध में किया गया। संगठन ने विदेशी आक्रांताओं से जुड़ी स्मृतियों और निशानियों को देश से पूरी तरह समाप्त करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मुगल आक्रांताओं ने भारत की संस्कृति, सभ्यता और धार्मिक आस्थाओं को क्षति पहुंचाई। संगठन के सदस्यों ने कहा कि इन शासकों के दौर में मंदिरों को तोड़ा गया, गोवंश को नुकसान पहुंचाया गया और महिलाओं व आमजन पर अत्याचार हुए। संगठन इन मुद्दों पर लंबे समय से विरोध दर्ज करा रहा है। कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत की पहचान उसकी प्राचीन सनातन संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों से है, जहाँ अतिथियों का सम्मान किया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्र और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले आक्रांताओं का महिमामंडन स्वीकार्य नहीं है। संगठन के सदस्यों ने इस विरोध को दशहरे पर रावण दहन से जोड़ते हुए कहा कि जिस प्रकार बुराई के प्रतीक का विरोध किया जाता है, उसी तरह विदेशी आक्रांताओं का प्रतीकात्मक विरोध करने का अधिकार समाज को है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिन शासकों का इतिहास अत्याचारों से भरा रहा, उनके स्मृति चिन्हों को क्यों संरक्षित किया जाए। प्रदर्शन के दौरान संगठन ने मांग की कि ऐसे आक्रांताओं का समर्थन या महिमामंडन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश श्रीराम, श्रीकृष्ण, महावीर जैन और गुरु गोविंद सिंह जैसे महापुरुषों के आदर्शों पर चलेगा, न कि विदेशी आक्रांताओं के आचरण पर। प्रदर्शनकारियों ने इस संबंध में मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन भी सौंपा।
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