प्रयागराज में माघ मेले की तैयारियों की समीक्षा करने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को प्रयागराज पहुंचे। आईट्रिपलसी में आयोजित बैठक और संगम नोज पर हुए कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। इसी बीच सबसे अधिक चर्चा जिस नाम की रही, वह कौशाम्बी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल रहीं। मीडिया ब्रीफिंग के दौरान भी नजर आईं पूर्व विधायक राजू पाल की पत्नी और समाजवादी पार्टी से निष्कासित की जा चुकीं पूजा पाल मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में अन्य विधायकों के साथ मौजूद रहीं। बैठक के बाद जब योगी आदित्यनाथ मीडिया को संबोधित कर रहे थे, तब भी वह पीछे खड़े जनप्रतिनिधियों में नजर आईं। उनकी मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में तुरंत हलचल तेज कर दी। बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलें कार्यक्रम के बाद यह चर्चा तेज हो गई कि क्या पूजा पाल जल्द ही भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने वाली हैं। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर तमाम कयास लगाए गए। बोलीं, “कार्यक्रम में शामिल हुई थी, निर्णय अभी नहीं” उधर दैनिक भास्कर ने इस मामले में विधायक पूजा पाल से बात की। इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि वह मुख्यमंत्री के सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुई थीं, लेकिन बीजेपी में शामिल होने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री प्रयागराज में गंगा पूजन और हनुमान मंदिर दर्शन के लिए आए थे, और वह इसी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं। राज्यसभा वोटिंग के बाद से बढ़ी नजदीकियां पूजा पाल ने राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। उसके बाद से उन्हें कई सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रण मिलता रहा है। उनकी बढ़ती सक्रियता को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक इसे भविष्य के संकेत के रूप में देख रहे हैं। आने वाले दिनों पर टिकी निगाहें पूजा पाल की उपस्थिति ने भाजपा और प्रयागराज-कौशाम्बी की स्थानीय राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। हालांकि उन्होंने फिलहाल किसी दल में औपचारिक रूप से शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम आने वाले दिनों में तस्वीर को और स्पष्ट कर सकता है। सपा से पहले बसपा में रहीं पूजा पाल 2007 से 2012 तक विधायक रह चुकी हैं। तब वह शहर पश्चिम सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव जीती थीं। बसपा में करीब 13 साल रहने के बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था। 2022 में वह कौशांबी जनपद की चायल सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। करीब 6.5 साल सपा में रहने के बाद इसी साल अगस्त में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। पिछले साल राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग के बाद ही से ही उनसे पार्टी नाराज चल रही थी।
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