मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बीजेपी नेताओं पर “घुसपैठिए ढूंढने” के आरोप लगाए जाने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीखा पलटवार किया है। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि उस समय अखिलेश यादव और उनके कार्यकर्ता कहां थे, जब अवैध तरीके से दस्तावेज तैयार किए जा रहे थे। उन्होंने इसे देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय बताते हुए कहा कि घुसपैठियों को संरक्षण देना सीधे तौर पर राष्ट्र के साथ खिलवाड़ है। पूर्व मंत्री ने कहा कि जिन घुसपैठियों के दस्तावेज गलत तरीके से बनाए गए थे, उन्हें दुरुस्त करना बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। उन्होंने साफ कहा कि अखिलेश यादव को इस मुद्दे पर परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जब बात राष्ट्र सुरक्षा, गरीब और कमजोर वर्गों के अधिकारों की आती है, तो बीजेपी का हर कार्यकर्ता मैदान में उतरता है। कार्यकर्ताओं द्वारा जुटाई गई सूचनाएं अधिकारियों तक पहुंचाई जा रही हैं, जिससे प्रशासन को कार्रवाई में मदद मिल रही है। दूसरी ओर, अखिलेश यादव ने बीजेपी पर प्रशासनिक अधिकारों में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि बीजेपी नेताओं को बांग्लादेशी घुसपैठियों की जांच करने का अधिकार किसने दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि यह काम प्रशासन का है और इसे निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं द्वारा घुसपैठिए ढूंढना केवल राजनीतिक दिखावा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लखनऊ के सांसद देश के रक्षा मंत्री हैं, लेकिन अब बीजेपी के लोग खुद मैदान में निकल आए हैं। सपा प्रमुख ने सवाल किया कि बिहार में कितने घुसपैठिए मिले और जिन अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाए, उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई।
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