सहारनपुर के नानौता क्षेत्र के दीनदारपुर गांव में एक दहेज-रहित शादी ने पूरे इलाके में मिसाल कायम कर दी है। गांव के मूल निवासी और कैग मंत्रालय में ऑडिट ऑफिसर रजनीश नागर ने अपने विवाह में दहेज के नाम पर वधू पक्ष द्वारा की गई लाखों रुपये की पेशकश ठुकराते हुए साफ कहा कि उन्हें सिर्फ एक रुपये का शगुन और एक नारियल ही चाहिए। यही उनका “असली दहेज” है। नागपुर में तैनात रजनीश नागर का विवाह 22 नवंबर को गाजियाबाद निवासी भंवर सिंह की बेटी मनीषा से हुआ। रजनीश नागर भारतीय रेलवे में इंजीनियर हैं। शादी से पहले परंपरा के अनुसार दुल्हन पक्ष ने दहेज देने की बात रखी थी, लेकिन रजनीश ने शुरू से ही इसे सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भौतिक वस्तु की आवश्यकता नहीं। एक शिक्षित, समझदार और संस्कारी जीवनसाथी ही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार है। रजनीश के इस निर्णय का उनके पिता रणजीत सिंह ने भी पूरा समर्थन किया। परिवार की इस सकारात्मक सोच को देखकर वधू पक्ष ने भी खुशी-खुशी दहेज-मुक्त विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार किया। इसके बाद शादी सादगी से, बिना किसी दिखावे या अनावश्यक खर्च के, पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई। इस कदम की चर्चा अब पूरे क्षेत्र में हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब शिक्षित युवा स्वयं आगे बढ़कर दहेज प्रथा का विरोध करेंगे, तभी समाज में वास्तविक परिवर्तन आएगा। रजनीश और मनीषा की पहल ने युवाओं और परिवारों में नई सोच जगाई है कि विवाह जैसे पवित्र रिश्ते में लेन-देन और भव्यता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। दहेज प्रथा के बढ़ते दुष्प्रभावों के बीच यह विवाह एक मजबूत सामाजिक संदेश बनकर सामने आया है कि अच्छे संस्कार, सरलता और सकारात्मक सोच किसी भी धन-दौलत से कहीं अधिक मूल्यवान होते हैं।
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