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सपा सांसद ने सदन में उठाई आजमगढ़ की समस्याएं:धर्मेंद्र यादव ने केंद्रीय मंत्री से NHAI के आतंक को खत्म करने का किया अनुरोध

आजमगढ़ सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र की कुछ गंभीर समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाया। सपा सांसद ने सरकार और मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि आजमगढ़ से वाराणसी का मार्ग जो लुंबिनी तक जाता है। विगत 10 वर्षों से बना है परंतु आजमगढ़ वाराणसी के बीच जनपद जौनपुर में लगभग 18 किलोमीटर आज भी दो लेन हैं। जबकि बनारस से लेकर लुंबिनी तक यह बौद्ध सर्किट के अंतर्गत यह सड़क आती है। और इस 18 किलोमीटर चलने के लिए घंटों समय लग जाता है। उन्होंने मंत्री से इस छूटे हुए 18 किलोमीटर सड़क को भी जल्द से जल्द फोर लेन करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने मंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए इस सड़क पर लगे कोटिला टोल प्लाजा का भी मामला उठाते हुए कहा कि उक्त टोल कर्मियों ने इतना आतंक मचा रखा है कि आजमगढ़ से आसपास के जो लिंक रोड बने हुए हैं। उस पर टोल वालों ने लोहे का बैरियर लगा रखा है। जिससे आजमगढ़ के लोगों को बहुत परेशानी हो रही है और अगल बगल के लोग उन संपर्क मार्गों पर चल नहीं पा रहे हैं। इतना ही नहीं स्कूल की बसें भी संपर्क मार्गों पर नहीं चलने देते हैं जिससे छोटे छोटे बच्चों को भी इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। NHAI के आतंक को खत्म करने की अपील आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से N.H.A.I के इस आतंक को खत्म करवाने का भी अनुरोध किया है। पूर्व में नियुक्त शिक्षकों के ऊपर टीईटी की अनिवार्यता पर भी उन्होंने कहा कि जिस तरह से टीईटी के माध्यम से पूरे देश के तकरीबन 25 लाख और अकेले उत्तर प्रदेश के 2 लाख से ज्यादा शिक्षक आज पूरी तरह से असुरक्षा के भाव में है। जबकि अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के आने के बाद यह तय हुआ कि अब टीईटी परीक्षा के बाद ही कोई शिक्षण कार्य कर पाएगा। जबकि पहले से नियुक्त शिक्षकों के लिए प्रावधान रहा कि जो पहले के नियुक्त शिक्षक हैं। उनको यह परीक्षा पास किए या नहीं किए उस समय की जो सेवा शर्तों के अनुरूप जो नियुक्ति मिली है। उसी के अनुरूप वो सेवाएं करेंगे। 1 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला आया जिसमें पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टेट पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस बात के लिए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की कमजोर पैरवी के कारण आज देश के 25 लाख से ज्यादा शिक्षक और उनके परिवार पूरी तरह से परेशान है।


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