अयोध्या में समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत सदस्य राजा मान सिंह और उनकी पत्नी नीतू सिंह को गैंगस्टर कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। इससे उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कई आपराधिक मुकदमों में उन्हें जमानत मिली है, लेकिन नए मामलों में नाम आने से जेल से रिहाई मुश्किल बनी हुई है। यह कार्रवाई 14 नवंबर को हुई, जब पूराकलंदर के प्रभारी निरीक्षक संजीव कुमार सिंह को सूचना मिली कि सपा नेता राजा मान सिंह एक संगठित गिरोह का सरगना है। आरोप है कि वह समाज में भय दिखाकर भौतिक और आर्थिक लाभ के लिए समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। इस सूचना के आधार पर थाना पूराकलंदर में राजा मान सिंह, उनकी पत्नी नीतू सिंह सहित 15 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। राजा मान सिंह ने अपनी जमानत अर्जी में खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक प्रभाव के कारण उनके खिलाफ सात मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके और उनकी पत्नी के पास जो भी संपत्ति है, वह पैतृक या उपहार में मिली है। मान सिंह ने आरोप लगाया कि सपा के जिला पंचायत सदस्य होने के नाते उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी का समर्थन नहीं किया था। इसी वजह से उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाकर उनका राजनीतिक करियर बर्बाद किया जा रहा है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने राजा मान सिंह और नीतू सिंह की जमानत अर्जी का कड़ा विरोध किया। अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि मान सिंह के खिलाफ विभिन्न थानों में 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और नीतू सिंह भी उनकी गतिविधियों में सहयोगी हैं। न्यायाधीश ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
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