दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में मिशन शक्ति फेज 5 के अंतर्गत विधि विभाग में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्थाई लोक अदालत की पूर्व न्यायाधीश अनीता अग्रवाल मौजूद रही। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि सनातन का मूल तत्व स्त्री है, जो भारत की प्राचीनता और संस्कृति की ध्वजवाहक है। सभ्यता के विकास क्रम में स्त्री का पिछड़ापन गंभीर समस्या है। आर्थिक आत्मनिर्भरता, मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मकता और शिक्षा में महिलाओं को स्वयं आगे बढ़कर सशक्त होना ही होगा। संविधान स्वयं भेदभाव को खत्म करता है। महिलाओं को कानून का समान संरक्षण मिल सके इसके लिए जागरूकता आवश्यक है। सुंदर समाज के निर्माण का रास्ता लॉ के मार्गदर्शन से संभव है। कानून सामाजिक बदलाव के लिए है न की बदला लेने के लिए। मानसिक तनाव से छुटकारा मुख्य उद्देश्य वहीं अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अनुभूति दुबे ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में मानसिक तनाव से छुटकारा भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। महिलाओं में डिप्रेशन के ज्यादा मामले इसलिए भी हैं क्योंकि वह कहीं ना कहीं अपने भावनाओं को दबाकर समाज में जीवन जी रही हैं। उन्होंने बताया कि एक डेटा के अनुसार यह देखा गया है कि भले पुरुषों में हृदय संबंधी रोग ज्यादा पाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है जिसमें यह देखा जा रहा है कि महिलाएं हृदय रोगी होने के बावजूद भी अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं। शायद पारिवारिक चिंता या किसी अन्य कारणों से समय पर बीमारी का पता ही नहीं चल पा रहा है। पुरुष और स्त्री के सह अस्तित्व को स्थापित करने में संबंधों में लचीलापन हर कठिनाई का मुकाबला कर सकती है। महिला सशक्तिकरण से पूरी होगी 2047 की परिकल्पना कार्यक्रम में उपस्थित मिशन शक्ति फेज 5 की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर विनीता पाठक ने संबोधित करते हुए कहा कि 2047 के जिस भारत की परिकल्पना केंद्र व राज्य सरकार की ओर से की जा रही है, उसे महिलाओं के सशक्तिकरण के फलस्वरूप ही प्राप्त किया जा सकता है। आज समाज में ग्रामीण हो या शहरी महिलाएं सबसे अगली पंक्ति में खड़ी है। राष्ट्र को अच्छा नागरिक देने के कार्य में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं को जागरूक करना सशक्त करना विकसित राष्ट्र में एक महत्वपूर्ण शर्त है। स्त्री की उन्नति में ही राष्ट्र की उन्नति कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए विधि विभाग के अध्यक्ष और अधिष्ठाता प्रो. जितेन्द्र मिश्रा ने कहा कि हमारी आधी आबादी जो कि स्त्री हैं, उनको समाज के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाकर मुख्य धारा में लाना राष्ट्र के हित में है। वैवाहिक मामलों में सामंजस्य की स्थापना स्त्री और पुरुष दोनों के लिए आवश्यक है। यह जीवन में समतुल्य तरीके से रहने के लिए आधार बनाता है। महिलाएं पीढ़ियों का सृजन करती है। शक्ति पूजन सनातन के मूल में है। स्त्री की उन्नति में ही राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त है। कार्यक्रम का सफल संयोजन और संचालन डॉ. आशीष शुक्ला ने किया। प्रो. अहमद नसीम कहा कि स्त्रियां आंचल से परचम तक अपनी गाथाएं लिख रही हैं और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। समाज पुरुषों और महिलाओं से मिलकर बना है। कार्यक्रम के दौरान विधि विभाग के समस्त शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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