संभल में तालाब की भूमि पर बने 80 मकानों को तोड़ने की प्रशासन की कार्रवाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। प्रशासन ने इन मकानों पर लाल निशान लगाकर उन्हें खाली करने के नोटिस जारी किए थे। हाईकोर्ट ने यह रोक इस आधार पर लगाई कि मकानों के नक्शे तहसीलदार से ऊपर के अधिकारी, यानी एसडीएम, द्वारा स्वीकृत किए गए थे। कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब नक्शा उच्च अधिकारी ने स्वीकृत किया है, तो तहसीलदार ने किस आधार पर कार्रवाई की। यह पूरा मामला संभल जनपद के थाना रायसत्ती क्षेत्र के मोहल्ला हातिम सराय से जुड़ा है। अथर, आरिफ और रेशमा परवीन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने बताया कि भूमि खरीदने के बाद मकान का नक्शा स्वीकृत कराकर ही निर्माण किया गया था। हाईकोर्ट ने तहसीलदार को एक महीने के भीतर नक्शा स्वीकृत करने वाले लोगों के जवाब का निशान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने किसी भी तरह की आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने भी इस संबंध में जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया से मुलाकात कर सभी संबंधित कागजात सौंपे थे। हातिमसराय निवासी राम सुनीति देवी से वर्ष 2005 के बाद लोगों ने जमीन खरीदनी शुरू की थी। इस जमीन को लेकर वर्ष 2009 में तत्कालीन एडीएम हरज्ञान सिंह पुंडीर की कोर्ट में सुनवाई हुई थी। 14 सितंबर 2009 को कोर्ट ने इसे राम सुनीति देवी की निजी संपत्ति घोषित करने का आदेश जारी किया था। उस समय भी जारी किए गए 25 नोटिसों को पीपी एक्ट के तहत वापस लेने का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता अथर ने बताया कि तहसील प्रशासन द्वारा नोटिस जारी करने और लाल निशान लगाने के बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली है और मकान तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।
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