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संभल में मां-बेटी भूख हड़ताल पर बैठीं:5 लाख के जेवर, 65 हजार कैश ठगने का आरोप, एसपी ने 5 बार जांच लिखी, नहीं हुई कार्रवाई

संभल में एक महिला अपनी नाबालिग बेटी के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल पर बैठ गई है। यह कदम उन्हें सोने-चांदी के जेवर और 65,000 रुपये नकद की कथित ठगी के मामले में न्याय न मिलने के बाद उठाया गया है। पीड़िता ने पुलिस पर शिकायत को गंभीरता से न लेने और रिपोर्ट दर्ज न करने का आरोप लगाया है। संभल कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कोट पूर्वी निवासी मंजू लता (स्वर्गीय गोपाल की पत्नी) अपनी 16 वर्षीय बेटी यति के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचीं। उन्होंने सामाजिक संरक्षण समिति अध्यक्ष भगवान दास शर्मा के नेतृत्व में भूख हड़ताल शुरू की। उनका कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, वे हड़ताल जारी रखेंगी। पीड़िता ने अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व वह सांसद सुनने के लिए पंजाब गई थीं। उन्होंने अपनी बेटी को फीस जमा करने के लिए 10,000 रुपए दिए थे। इस दौरान बेटी की सहेली खुशी और उसकी मां सोनी (शंकर की पत्नी) का उनके घर आना-जाना था। आरोप है कि खुशी और सोनी ने यति को बहला-फुसलाकर विश्वास में लिया और कहा कि मां घर पर नहीं है, इसलिए घर असुरक्षित है और जेवर उन्हें लॉकर में रखने के लिए दे दें। यति ने जेवर दोनों मां-बेटी को दे दिए। जब मंजू लता पंजाब से लौटीं और बेटी से बात की, तो उन्हें पता चला कि जेवर और 65,000 रुपए नकद हड़प लिए गए हैं। महिला ने अपने प्रार्थना पत्र के साथ रिकॉर्डिंग सबूत और कुछ व्यापारियों के नाम भी बताए हैं, जहां कथित तौर पर जेवर बेचे गए थे। पीड़िता का आरोप है कि वह बार-बार पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत लेकर जाती हैं, लेकिन रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय केवल जांच लिख दी जाती है। उन्होंने दरोगा अंकुर तोमर पर शिकायत को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया है। मंजू लता ने बताया कि मेरी लड़की को गुमराह करके 5 लाख के जेवर और 65000 नगदी ले गए। मेरी फ्रेंड सोनी और उसकी लड़की है, पहले तो उन्होंने गिरवी रखे, फिर उसके बाद बेच दिए। जब तक मेरी रिपोर्ट नहीं लिख जाती या फिर समाधान नहीं हो जाता तब तक भूख हड़ताल पर बैठूंगी। मैं 6 महीने से पुलिस के चक्कर काटते काटते परेशान हो गई हूं। मैं मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान हो गई हूं मेरा शोषण किया जा रहा है। एसपी साहब के यहां मैंने पांच बार कंप्लेंट दे रखी है। एसपी साहब जांच लिख देते हैं लेकिन आदेश नहीं लिखते हर बार, जांच यहां से कोतवाली जाती है और जांच अंकुर तोमर के हाथ आ जाती है वह रद्दी में डाल देता है। भगवान दास शर्मा ने बताया कि मैं एक संगठन चलाता हूं और यह लोग मदद के लिए मेरे पास आए। इनके साथ में यहां आया हूं।


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