संभल में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने बुधवार को मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया। किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया था। संगठन ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन मुख्य विकास अधिकारी को सौंपा। प्रदर्शन का नेतृत्व जिलाध्यक्ष मदनपाल सिंह ने किया। ज्ञापन में कहा गया है कि 26 नवंबर 2025 को किसान आंदोलन की शुरुआत की पांचवीं वर्षगांठ पर देशभर के किसान और मजदूर पुनः सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण भारत सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को दिए गए लिखित आश्वासन का पालन न करना है। देखें, 5 तस्वीरें… उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन 26 नवंबर 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ था। यह आंदोलन 380 दिनों तक चला, जिसमें 736 किसानों ने अपने प्राण गंवाए। अंततः सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे। आंदोलन को इस भरोसे पर स्थगित किया गया था कि एमएसपी@सी2+50% सहित सभी लंबित मांगों पर ठोस कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार ने वादा निभाने के बजाय ऐसे निर्णय लिए हैं, जिनसे कृषि अर्थव्यवस्था और कमजोर हुई है। बीते 11 वर्षों में किसानों, कृषि मजदूरों और बेरोजगार युवाओं द्वारा आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है, जिनकी संख्या पांच लाख से अधिक बताई गई है। 2017 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा खोखला साबित हुआ है, क्योंकि वास्तविकता में उत्पादन लागत दोगुनी और रोजमर्रा की जरूरतों की लागत तीन गुना बढ़ गई है। जिलाध्यक्ष मदनपाल सिंह ने बताया कि यह प्रदर्शन सरकार की वादाखिलाफी याद दिलाने के लिए आयोजित किया गया है। उन्होंने गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल घोषित करने, बढ़े हुए भाड़े को वापस लेने, मनरेगा मजदूरी में बढ़ोतरी, खाद पर पुरानी सब्सिडी बहाल करने तथा स्मार्ट मीटर की मनमानी कीमतों पर रोक लगाने जैसी मांगों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के मुकदमों की वापसी और कर्ज माफी जैसे मुद्दों पर भी अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
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