संभल के चौधरी सराय स्थित मदरसा अहले सुन्नत रज़ा-ए-मुस्तफा अजमल उलूम में शुक्रवार को रज़ा-ए-मुस्तफा कॉन्फ्रेंस और जश्ने दस्तार हाफिज-ए-किराम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उलेमा-ए-किराम, स्थानीय लोगों, अभिभावकों और मदरसे के छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना कारी लईक की तिलावत-ए-कुरआन से हुई। इसके बाद उत्तराखंड से आए कारी नावेद और मदीना मस्जिद के इमाम मौलाना जुनैद ने नात-ए-पाक पेश की। इस दौरान उपस्थित लोगों ने धार्मिक नारों के साथ अपनी श्रद्धा व्यक्त की। मुख्य अतिथि हजरत मौलाना मुफ़्ती जलीस अहमद ने इस्लामी शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन की सफलता नेक मार्ग पर चलने और बुराइयों से दूर रहने में है। उन्होंने बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ दुनियावी शिक्षा में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की सलाह दी। मुफ़्ती जलीस अहमद ने हिफ़्ज़-ए-कुरआन को एक बड़ी नेमत बताया और कहा कि ऐसे बच्चे कौम का गौरव बढ़ाते हैं। मौलाना तौसीफ रज़ा मिस्बाही बरकाती ने अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण दस हाफ़िज़-ए-कुरआन बच्चों की दस्तारबंदी थी। दस्तारबंदी पाने वाले बच्चों में हाफिज मोहम्मद फ़रमान, मोहम्मद जैद, मोहम्मद जमाल अशरफ, मोहम्मद रेहान, अब्दुल मन्नान, अब्दुल मालिक, मोहम्मद गुफ़रान, मोहम्मद शाहनवाज़, मोहम्मद शाहबाज़ और मोहम्मद फ़हीम शामिल थे। विशेष बात यह रही कि इनमें से चार बच्चों ने एक ही कमरे में साथ बैठकर हिफ़्ज़ (कुरआन कंठस्थ) पूरा किया। दस्तारबंदी के बाद नातख्वानों ने नात पेश की। अभिभावकों ने बच्चों की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की। कार्यक्रम का समापन मुल्क व कौम की तरक्की, अमन-ओ-चैन और भाईचारे की दुआ के साथ हुआ।
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