मिर्जापुर में श्रम विभाग और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने संयुक्त कार्रवाई की। बुधवार को विंध्याचल थाना क्षेत्र के दूधनाथ तिराहे पर छापेमारी कर 35 नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया। इन बच्चों की उम्र 8 से 16 वर्ष के बीच बताई गई है। सभी नाबालिग बिहार के अररिया जिले से मिर्जापुर लाए गए थे। इनसे कालीन बुनाई का काम कराया जा रहा था। जांच में सामने आया कि बच्चों से लंबे समय से अवैध रूप से मजदूरी कराई जा रही थी। श्रम विभाग की जांच के अनुसार, जनपद के इमरान नामक व्यक्ति द्वारा इन बच्चों को बाहर के प्रांतों से लाकर करीब नौ महीने से कालीन उद्योग में जबरन काम पर लगाया गया था। एक कालीन बुनकर शहनवाज ने बताया कि पुलिस 35 बच्चों को लेकर गई है। ये बच्चे अपना खाना खुद बनाते थे और उन्हें केवल शुक्रवार को दो या तीन की संख्या में ही बाहर निकलने दिया जाता था। इस रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व श्रम प्रवर्तन अधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि सभी नाबालिगों से कालीन बुनाई का श्रम लिया जा रहा था, जो पूरी तरह अवैध और दंडनीय है। मुक्त कराए गए सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) को सौंप दिया गया है। यहां उनकी आगे की कानूनी और संरक्षण संबंधी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। श्रम विभाग की इस कार्रवाई से क्षेत्र में बाल मजदूरी कराने वालों में हड़कंप मच गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि बाल श्रम के खिलाफ अभियान आगे भी जारी रहेगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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