लखनऊ के गोमतीनगर स्थित राम मनोहर लोहिया पार्क में शनिवार को दो दिवसीय लोक कला उत्सव ‘देशज’ का पांचवां संस्करण शुरू हुआ। यह आयोजन सोनचिरैया के 15वें वर्ष के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने इसे देश की लोक कलाओं को मंच देने का सराहनीय प्रयास बताया। उत्सव का शुभारंभ पद्मश्री विद्या विन्दु सिंह और लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने “वंदे मातरम” प्रस्तुति के साथ की, जिसमें विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने एक साथ मंचन कर दर्शकों में देशभक्ति का जोश भर दिया। केसरिया बालम पर झूम श्रोता पहली शाम का मुख्य आकर्षण राजस्थान के लोकप्रिय गायक कुतले खान रहे। उन्होंने “केसरिया बालम” और ‘छाप तिलक सब छीनी’ जैसी मांड और सूफी रचनाओं ने श्रोताओं का मन मोह लिया । उनके साथ अमोल डांगी और गाजी खान सहित कई कलाकारों ने संगत दी। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत केरल के थेय्यम नृत्य से हुई। चामुंडा और पुट्टम थेय्यम की इस प्रस्तुति ने केरल की धार्मिक आस्था और भव्य श्रृंगार को दर्शाया। इसके बाद अंजना कुमावत के नेतृत्व में राजस्थान के घूमर नृत्य का प्रदर्शन हुआ, जिसमें शहरवासी भी मालिनी अवस्थी के साथ मंच पर शामिल हो गए। देश के विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने प्रस्तुति दी गुजरात के डांगी नृत्य ने नई फसल और विवाहोत्सव की खुशी को प्रदर्शित किया। मिजोरम के चेराओ (बैम्बू) डांस ने खेती और पहाड़ी जीवन के उत्साह को दर्शाया। छत्तीसगढ़ के गोंडमारी नृत्य ने तिरडूड वाद्य की धुन पर विवाह उत्सव का उल्लास जगाया, जबकि पंजाब के गिद्धे ने ननिहाल की पारिवारिक खुशियों और बोलियों से माहौल को खुशनुमा बनाया। अंतिम प्रस्तुति महाराष्ट्र के सांगी लोक नृत्य की थी, जिसने ढोल-ताशों के साथ होली के रंग बिखेरे। लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी और वरिष्ठ गायक पं. धर्मनाथ मिश्र सहित बड़ी संख्या में दर्शकों ने कार्यक्रम की सराहना की। इस सांस्कृतिक आयोजन ने लखनऊ में लोक कलाओं की एक यादगार शाम बनाई।
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