सीतापुर में सदर तहसील में बुधवार देर शाम लेखपालों और एसडीएम सदर धामिनी एम. दास के बीच विवाद गहरा गया। लेखपालों ने एसडीएम पर तानाशाही रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके दो साथियों सदर तहसील के लेखपाल रमाकांत और हरगांव के लेखपाल दीपक को चेंबर में जबरन बैठाकर बनाकर SIR का काम कराने का दबाव बनाया गया। आरोपों के विरोध में लेखपाल रात में ही तहसील परिसर में धरने पर बैठ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। देर रात तक धरना स्थल पर लेखपालों की भीड़ जुटती रही। लेखपाल कुलदीप ने आरोप लगाया कि दोनों साथियों को जबरन चेंबर में रोककर बीएलओ के कार्य को पूरा कराने का दबाव बनाया गया। उनका कहना था कि दोनों को बताया गया कि कहीं जाने नहीं दिया जाएगा और दिन-रात वहीं बैठकर काम करना होगा। कुलदीप का यह भी आरोप है कि साथियों को खाना-पानी तक नहीं दिया गया। हालांकि जब दोनों लेखपालों से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्हें भोजन और पानी दिया गया है, लेकिन कुलदीप ने उनके इस बयान को “दबाव में दिया गया” करार दिया। उधर, लेखपालों के आरोपों को एसडीएम सदर धामिनी एस. दास ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि किसी को बंधक नहीं बनाया गया, बल्कि दोनों लेखपालों को केवल कार्य पूरा करने के लिए चेंबर में बैठाया गया था। एसडीएम ने बताया कि दोनों को एक सप्ताह से लंबित कार्य पूरा करने को कहा जा रहा था, लेकिन वे लगातार टाल रहे थे। एसडीएम ने यह भी दावा किया कि लेखपाल दीपक के खिलाफ शिकायत पत्र भी मिला था और वह फोन पर भी उपलब्ध नहीं हो रहे थे। इसलिए दोनों को कार्यालय में बैठकर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए। एसडीएम के अनुसार, दिनभर में दोनों ने वह कार्य पूरा कर दिया जो एक सप्ताह से लंबित था, और उन्हें खाना-पानी भी उपलब्ध कराया गया। विवाद के बीच देर रात तक सदर तहसील में लेखपालों का धरना जारी रहा।
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