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लखनऊ विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू:CSBC के सहयोग से ‘मानव व्यवहार’ पर गहन चर्चा

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय (FMS) में शुक्रवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन अशोक विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सोशल एंड बिहेवियर चेंज (CSBC) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य विषय ‘कार्यस्थल और समाज में मानव व्यवहार: सिद्धांत, व्यवहार और नीति को जोड़ने के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण’ है। सम्मेलन में भारत और विदेश से आए शिक्षाविदों, नीति विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के दिग्गजों ने भाग लिया। इन विशेषज्ञों ने बदलते सामाजिक और संगठनात्मक व्यवहार पर गहन चर्चा की।उद्घाटन समारोह का शुभारंभ कुलपति प्रो. मनुका खन्ना और अन्य सम्मानित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। मानव व्यवहार को समझे बिना प्रभावशाली नीतियां बनाना संभव नहीं कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने अपने संबोधन में कहा कि व्यवहार विज्ञान न केवल संगठनात्मक बदलाव ला रहा है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा भी तय कर रहा है। उन्होंने FMS द्वारा वैश्विक शैक्षणिक पहचान मजबूत करने के प्रयासों की सराहना की। FMS की डीन प्रो. संगीता साहू ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि जटिल विश्व में मानव व्यवहार को समझे बिना प्रभावी नीतियां बनाना संभव नहीं है। CSBC की निदेशक डॉ. शेरोन बार्नहार्ड्ट ने बताया कि व्यवहारिक अंतर्दृष्टि अब नीति निर्माण का मुख्य आधार बन गई है और व्यवहार विज्ञान मुख्यधारा का नेतृत्व कर रहा है। नीतियों में मानवीय तत्व की समझ महत्वपूर्ण मुख्य अतिथि, IIM कोलकाता के निदेशक प्रो. आलोक कुमार राय ने युवा शोधार्थियों के उत्साह की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह का सम्मेलन बौद्धिक विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ शैक्षणिक नवाचार के लिए आवश्यक आलोचनात्मक सोच को भी पोषित करता है। प्रमुख वक्ता प्रो. एनरिके फटस ने वैश्विक व्यवहार शोध की दिशा पर अपने विचार प्रस्तुत किए। IIT रुड़की के प्रो. एस.एन. रंगनेकर की अध्यक्षता में पहले पूर्ण सत्र में डॉ. इजाबेल मारिन और डॉ. स्नेहा शशिधरा ने सांस्कृतिक संदर्भों, संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह और सामाजिक प्रोत्साहनों की भूमिका पर शोध साझा किए।सम्मेलन में प्रबंधन, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, नीति अध्ययन और व्यवहार विज्ञान पर आधारित छह समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।


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