लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘भिक्षा से स्वावलंबन’ सम्मान समारोह ने प्रेरणा और बदलाव की अनोखी कहानियों को सामने रखा। रविवार को समारोह के दौरान पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के चयनकर्ता रह चुके आर.पी. सिंह ने उन लोगों को सम्मानित किया जिन्होंने भिक्षावृत्ति छोड़कर मेहनत और संकल्प के दम पर रोजगार की राह चुनी। कार्यक्रम की सबसे चर्चित कहानी रही मोहिनी की जो कभी बैलून बेचकर गुज़ारा करती थी, और अब स्वरोजगार से हर माह पाँच से दस हज़ार रुपये कमाकर आत्मनिर्भर है। ऐसे कई बच्चे और परिवार को लोग मिले जिसके जीवन में बदलाव हुए। लखनऊ के छोटे कस्बे से आई मोहिनी की कहानी कार्यक्रम के दौरान ग्रुप फोटो लेते समय जब मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा “सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ तो क्रिकेटर आर.पी. सिंह ने भी हंसकर ‘थैंक यू’ कहा। मोहिनी राजधानी लखनऊ के एक छोटे कस्बे में रहती है। पहले वह गुजारे के लिए बैलून बेचती थी, लेकिन जिला प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं के अभियान का हिस्सा बनने के बाद आज वह ब्यूटीशियन का कोर्स कर रही है और उसी से अपनी कमाई शुरू कर चुकी है। माह में 5 से 10 हज़ार रुपये की आमदनी के साथ वह अपनी ज़िंदगी को नए ढंग से संवार रही है। उसने कहा “यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।” 16 से अधिक लोगों को मिला सम्मान, भिक्षावृत्ति छोड़कर रोजगार की राह पर आगे बढ़े समारोह में ऐसे 16 से अधिक बच्चों और परिवारों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने भीख मांगने की ज़िंदगी छोड़कर मेहनत, प्रशिक्षण और कौशल से रोजगार हासिल किया है। जिला प्रशासन, गैर-सरकारी संस्थाओं और सामाजिक संगठनों की साझेदारी से चल रहे इस अभियान का लक्ष्य है लखनऊ को भिक्षावृत्ति-रहित शहर बनाना। सीडीओ अजय जैन बोले-तीन चरणों में चल रहा अभियान, लक्ष्य स्वावलंबन लखनऊ सीडीओ अजय जैन ने कहा कि जिला प्रशासन तीन चरणों में अभियान चला रहा है।पहले चरण में भिक्षुकों की पहचान, उनका भरण-पोषण और दस्तावेज़ीकरण किया जाता है। दूसरा चरणभिक्षा से शिक्षा की ओर बढ़ने पर केंद्रित है। तीसरे चरण में प्रशिक्षण, कौशल विकास और रोजगार से जोड़ने का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा किसी भी शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है, और लखनऊ इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आर.पी. सिंह बोले-‘बदलाव की शुरुआत आत्मनिरीक्षण से होती है’ विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व क्रिकेटर आर.पी. सिंह ने अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि जीवन बदलने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरत आत्मइच्छा और आत्मनिरीक्षण की होती है। उन्होंने कहा कभी मैं सड़क पर बच्चों को भीख मांगते देखता था और सोचता था कि मैं उनके लिए क्या कर सकता हूँ? आज जब मुझे लखनऊ में चल रहे इस अभियान की जानकारी मिली तो मैं खुद आगे आया। बदलाव की शुरुआत भीतर से होती है, उसके लिए किसी बाहरी सहारे की ज़रूरत नहीं होती। आर.पी. सिंह ने अपने पिता का उदाहरण देते हुए कहा मेरे पिताजी गाँव से निकलकर रायबरेली कमाने आए थे। उन्होंने शायद अपने लिए नहीं, मेरे लिए सपना देखा था। वही सपना मुझे आगे बढ़ाता रहा। उन्होंने बच्चों से कहा जिसके अंदर आत्मइच्छा है, वह ज़रूर सफल होगा चाहे क्रिकेटर बनना हो, अधिकारी बनना हो या जनप्रतिनिधि। एक व्यक्ति का बदलाव पूरे समाज को प्रेरित करता है। प्रमुख सचिव सुंदरम बोले-‘ये लोग अपना जीवन दूसरों के जीवन संवारने में लगा रहे हैं’ विशिष्ट अतिथि और प्रमुख सचिव, श्रम एवं रोजगार डॉ. एम.के. शन्मुग सुन्दरम ने कहा कि यह अभियान सिर्फ कुछ लोगों नहीं, बल्कि पूरे समाज का जीवन बदल रहा है। उन्होंने कहा जब मैं इस अभियान से जुड़े लोगों से मिला, तो देखा कि ये लोग अपना पूरा जीवन दूसरों का जीवन सुधारने में लगा रहे हैं। इनका कोई स्वार्थ नहीं है। मैं उन सभी को बधाई देता हूँ और आर.पी. सिंह जी का विशेष धन्यवाद कि उनके आने से कार्यक्रम में नई ऊर्जा आई। उन्होंने कहा कि शिक्षा और रोजगार न सिर्फ व्यक्ति, बल्कि पूरे क्षेत्र और समाज को बदल देते हैं।
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