उत्तर प्रदेश STF ने लखनऊ में ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी करने वाले एक सदस्य को गिरफ्तार किया हैं। पुलिस/Narcotics/Crime Branch का अधिकारी बनकर लोगों को डराने, व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर नकली पूछताछ करने और फर्जी RBI लेटर भेजकर रुपये वसूलने वाले गैंग का एक अहम सदस्य राजधानी से पकड़ा गया है। यह गिरोह लखनऊ के प्रो. डॉ. बी.एन. सिंह से 95 लाख रुपये की ठगी कर चुका है। यह गिरोह खुद को पुलिस, नारकोटिक्स या क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” कर उनसे भारी भरकम रकम वसूलता था। गिरफ्तार आरोपी का नाम प्रदीप सोनी (40 वर्ष) है, जो मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का निवासी है। STF ने गुरुवार रात 8:20 बजे गोमतीनगर विस्तार स्थित फीनिक्स पलासियो मॉल के पीछे से पकड़ा। कैसे दिया जाता था ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर जांच के अनुसार 6 अप्रैल 2025 को प्रो. डॉ. बी.एन. सिंह को पहले व्हाट्सएप कॉल पर एक व्यक्ति ने खुद को ब्लू डॉट कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताते हुए कहा कि उनके नाम पर अवैध पार्सल पकड़ा गया है।इसके बाद कॉल को एक कथित पुलिस अधिकारी के. मोहनदास से जोड़ दिया गया। फिर एक अन्य नंबर से पुलिस वर्दी में एक अधिकारी ने वीडियो कॉल कर बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर अवैध पार्सल भेजा गया है। उस अधिकारी ने उन्हें जांच के दौरान किसी से संपर्क न करने की चेतावनी दी। उनके परिवार की सुरक्षा का डर दिखाया। व्हाट्सएप पर RBI का एक कूटरचित लेटर भेजा। “जांच पूरी होने तक” 95 लाख रुपये जमा कराने को डॉक्टर को कहा था। डॉ. सिंह ने 8 अप्रैल को पूरा पैसा ट्रांसफर कर दिया। बाद में उन्होंने नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर थाना साइबर क्राइम लखनऊ में केस पंजीकृत हुआ। रकम का चेन सिस्टम: 95 लाख से 1.40 करोड़ तक का नेटवर्क STF की तकनीकी जांच में पता चला कि जिस बैंक खाते का उपयोग किया गया, उसमें कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपये तक की साइबर ठगी की राशि घूम चुकी थी। डॉ. सिंह से ठगे गए 95 लाख रुपये को 420 ट्रांजेक्शन के माध्यम से 11 अलग-अलग बैंक खातों में भेजा गया था, ताकि पैसे का ट्रेल पकड़ना मुश्किल हो सके। इसी से जुड़े मामले में STF ने जुलाई 2025 में महाराष्ट्र के मीरारोड से मोहम्मद इकबाल और शाइन इकबाल को गिरफ्तार किया था। प्रदीप सोनी उसी नेटवर्क का सक्रिय सदस्य है। प्रदीप सोनी बैंक खातों से लेकर क्रिप्टो तक-गैंग का ‘फाइनेंस ऑपरेटर’ पूछताछ में प्रदीप ने बताया कि भोपाल की पारस महल ज्वेलर्स में नौकरी छोड़ने के बाद वह आर्थिक तंगी में था। इसी दौरान दीपावली 2024 के आसपास उसकी मुलाकात अमित कैथवास उर्फ केटू और फिर रोहित लोधी उर्फ बिट्टू से हुई। रोहित ने उससे कहा कि वह बैंक खातों को “किराये” पर लेता है। हर खाते का 10,000 रुपये एडवांस और आने वाली रकम पर कमीशन देता है। लाभ के लालच में वह गिरोह से जुड़ गया और विदिशा, भोपाल, रायसेन से बैंक खातों की किट इकट्ठा करने लगा, ठगी के पैसों को ATM से निकालता, CDM मशीन के जरिए तय खातों में जमा करता, रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदलवाता, गैंग से संपर्क व्हाट्सएप के ज़रिए ही रखता, फर्जी नाम “मनोहर” और “संजू” का इस्तेमाल करता रहा। उसने कबूला कि डॉ. सिंह से ठगे गए 95 लाख रुपये को रोहित और अन्य सदस्यों के साथ मिलकर बैंक खातों व क्रिप्टो के जरिए बांटा गया था। क्या-क्या बरामद हुआ STF ने आरोपी से दो मोबाइल फोन, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक चेक, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड,आरसी, सिम कार्ड, और साइबर ठगी में इस्तेमाल खातों की जानकारी वाले 10 स्क्रीनशॉट बरामद किए हैं।
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