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लखनऊ में इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसकर्मियों पर FIR:शाबाशी लेने के लिए सरिया व्यापारी को झूठे केस में फंसा दिया था

लखनऊ में इंस्पेक्टर, सीनियर सब इंस्पेक्टर और 3 सब इंस्पेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इन पांचों पुलिसकर्मियों पर गुडवर्क दिखाने के लिए सरिया व्यापारी को चोरी और जालसाजी में फंसा दिया था। एंटी करप्शन इकाई ने पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह एक्शन लिया है। मामला 2020 का बंथरा थाने पुलिस का है। तत्कालीन इंस्पेक्टर प्रह्लाद सिंह, SSI दिनेश कुमार, SI संतोष कुमार, राजेश कुमार और आलोक श्रीवास्तव ने सरिया व्यापारी विकास गुप्ता, उसके डाला चालक दर्शन लाल और छह सहयोगियों पर चोरी और जालसाजी का मुकदमा कर दिया था। एंटी करप्शन इकाई के निरीक्षक नूरुल हुदा खान ने पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ PGI थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। फिलहाल आरोपी पुलिसकर्मियों की तैनाती लखनऊ पुलिस लाइन और बहराइच में है। दो साल बाद केस संदिग्ध लगा 2022 में सरिया व्यापारी पर लगा केस संदिग्ध लगा तो जांच एंटी करप्शन लखनऊ इकाई को दी गई। तीन साल की जांच में ये बातें सामने आ गईं कि पुलिस ने गुडवर्क दिखाने के लिए जानबूझकर झूठे साक्ष्य जुटाए, मनगढ़ंत कहानी तैयार की और कोर्ट में फर्जी दस्तावेज पेश किए। अब पूरा घटनाक्रम पढ़िए… 31 दिसंबर 2020 की रात दरोगा संतोष कुमार ने दावा किया था कि जनाबगंज बाबा ढाबा के पास एक हाते में चोरी के सरिया का सौदा हो रहा है। इसी गुडवर्क के नाम पर व्यापारी विकास गुप्ता और डाला चालक दर्शन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। छह अन्य लोगों को फरार दिखा दिया गया। पुलिस का आरोप था कि हाफ-डाला में चोरी की सरिया मिली और विकास दर्शन ने कबूल किया कि उन्होंने यह सरिया फरार साथियों से खरीदा था। जब विकास की जेब से विशाल आयरन स्टोर की रसीद मिली तो पुलिस ने कहानी गढ़ दी कि वह चोरी की सरिया सस्ते में खरीदकर अपनी दुकान पर महंगे दामों में बेचता है। इसी आधार पर छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। अगले दिन पुलिस ने इसे बड़ा गुडवर्क बताकर अधिकारियों से शाबाशी भी बटोरी। एंटी करप्शन की जांच से साबित हुआ कि पुलिस की बनाई कहानी थी। व्यापारी को झूठे केस में फंसाया गया।


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