ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े कामों का जिम्मा नई एजेंसी सिल्वर टच को सौंपा गया, लेकिन पहले ही दिन अव्यवस्था और तकनीकी दिक्कतों ने आवेदकों की परेशानी बढ़ा दी। जहां फोटो और साइन अपलोड की प्रक्रिया सामान्यतः 5 मिनट में पूरी हो जाती है, वहीं सोमवार को आवेदकों को ढाई घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा। नई एजेंसी, नया स्टाफ… और अव्यवस्था परिवहन विभाग ने डीएल से जुड़े काम निजी कंपनियों को दे रखे हैं। इस बार प्रदेशभर में सिल्वर टच, फोकाम नेट और रोजमार्टा को जिम्मेदारी दी गई है। लखनऊ में सिल्वर टच पूरे संचालन का काम देख रही है। आरटीओ संजय तिवारी और परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने पहले ही साफ निर्देश दिए थे कि पुराना स्टाफ हटाकर या ट्रांसफर कर नए कर्मचारी तैनात किए जाएं। इसी के चलते कई कर्मी दूसरे जिलों से लाए गए हैं, जिन्हें आरटीओ के सिस्टम और प्रक्रिया समझने में वक्त लगा। नतीजा यह हुआ कि कामकाज सुबह से ही धीमा रहा और लंबी कतारें लग गईं। 11 बजे पहुंचने वालों को भी दो घंटे की मशक्कत सुबह 11 बजे आरटीओ पहुंचे आवेदकों को फोटो-साइन अपलोड, दस्तावेज़ वेरिफिकेशन और टोकन प्रक्रिया में दो से ढाई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। कर्मचारियों की संख्या कम होने के कारण कई काउंटर धीमी गति से चलते रहे, जिससे इंतजार का समय और बढ़ गया। अप्रूवल बंद, फाइलें अटकी—और बढ़ी पेंडेंसी पिछले हफ्ते नई कंपनियों के चयन के चलते डीएल अप्रूवल और डिस्पैच प्रक्रिया अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। इससे बड़ी संख्या में आवेदन लंबित हो गए। सोमवार को प्रक्रिया सुचारू होने की उम्मीद में आवेदक बड़ी संख्या में पहुंचे, लेकिन अनुभवहीन स्टाफ और तकनीकी दिक्कतों के कारण काम शुरू ही धीमी गति से हो पाया। इस वजह से जिन आवेदकों का स्मार्ट कार्ड तैयार होने वाला था, उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा। पेंडेंसी बढ़ने से आने वाले दिनों में भी भीड़ और देरी जारी रहने के आसार हैं।
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