पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन अब लंबी दूरी की ट्रेनों में तैनात कोच अटेंडेंट, एसी मैकेनिक और सफाईकर्मियों को वह सुविधा देने जा रहा है, जो वर्षों से लोको पायलट और गार्ड को मिलती रही है। रेलवे ने अपनी पुरानी, परंपरागत 55 कोचों को चिन्हित कर उन्हें रेस्टरूम यानी आरामगृह के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। ये कोच लखनऊ, बनारस और इज्जतनगर मंडलों से चुने गए हैं और जल्द ही इनका रूपांतरण शुरू होगा। कर्मचारियों के लिए अब बनेगी सुरक्षित और आरामदायक जगह अब तक ट्रेन में सफाई व्यवस्था, कोच मेंटेनेंस और यात्रियों की सुविधा संभालने वाले यह कर्मचारी संविदा पर होने की वजह से किसी निश्चित आरामस्थल के हकदार नहीं थे। दूसरी ओर लोको पायलट और गार्ड के लिए रनिंग रूम की सुविधा पहले से उपलब्ध रहती है, जहां वे ड्यूटी के बाद आराम कर पाते हैं। लेकिन कोच अटेंडेंट, एसी मैकेनिक और सफाईकर्मियों को मजबूरी में या तो ट्रेन के अंदर ही समय गुजारना पड़ता था या फिर स्टेशन परिसर में किसी अस्थाई जगह पर रुकना पड़ता था। पुराने कोच होंगे मॉडिफाई, थकान मिटाने में मिलेगी मदद पूर्वोत्तर रेलवे इन 55 पारंपरिक बोगियों में बेसिक सुविधाएं विकसित करेगा—जैसे बेडिंग स्पेस, वॉशरूम, पीने के पानी की व्यवस्था, पंखे और जरूरत के मुताबिक मरम्मत। इससे कर्मचारी शारीरिक थकान मिटा सकेंगे, जो उनकी ड्यूटी के दौरान दक्षता बढ़ाने में भी मदद करेगा। सूत्रों के अनुसार, रेलवे प्रशासन जल्द ही इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी में है। इसे कर्मचारी हित में बड़ा और सकारात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि पहली बार इन संविदा कर्मियों को भी रेलवे द्वारा औपचारिक रूप से आराम की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। काम की गुणवत्ता पर पड़ेगा सीधा असर रेलवे अधिकारियों का मानना है कि जब कर्मचारियों को उचित आराम मिलेगा, तो उनका प्रदर्शन बेहतर होगा और काम में अधिक प्रभावशीलता आएगी। लंबी दूरी की ट्रेनों में लगातार ड्यूटी करने वाले कर्मियों के लिए यह योजना राहत का एक बड़ा माध्यम बन सकती है।
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