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राष्ट्रीय शिल्प मेले में कवि सम्मेलन का आयोजन:देशभर के नामचीन कवियों ने ओज, व्यंग्य व संवेदना से बांधा समां

प्रयागराज उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले के अंतर्गत सोमवार देर शाम मुक्ताकाशी मंच पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस साहित्यिक संगम में देशभर से आए ख्यातिलब्ध कवियों ने अपनी रचनाओं से ऐसा माहौल रचा कि पूरा पंडाल देर रात तक तालियों की गूंज से भरता रहा। कवियों ने ओज, वीर रस, हास्य-व्यंग्य और संवेदनशील कविताओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हर्षवर्धन वाजपेयी (विधायक, शहर उत्तरी प्रयागराज), मेजर जनरल कमांडेंट धर्मराज राय, वरिष्ठ रंगकर्मी अतुल यदुवंशी और वासुदेव भगत द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्र व पौधा भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम सलाहकार कल्पना सहाय ने स्वागत उद्बोधन दिया। कवि सम्मेलन की शुरुआत दिल्ली से आए कवि गजेंद्र सोलंकी की ओजस्वी वीर रस कविता से हुई। उनकी पंक्तियों‘समस्याओं की दुनिया है, पर समाधान का भारत है’पर श्रोता ‘भारत माता की जय’ के नारों से गूंज उठे। इसके बाद अज़हर इक़बाल ने अपनी शेर-ओ-शायरी से प्रेम और मानवीय रिश्तों की नजाकत को बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया, जिस पर दर्शक मंत्रमुग्ध नजर आए। नायाब बलियावी ने आर्थिक विषमता पर एक मार्मिक कविता सुनाई ‘ठंड जब भी पहाड़ों से उतर आती है, गरीबों के घर में जाती है’, जिसने सभागार को गंभीर मौन में डुबो दिया। अशोक सिंह ‘बेशरम’ ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं की अमरता को स्वर देते हुए बनारस, अवध और संगम की महिमा का चित्रण किया। श्लेष गौतम ने एकता और इंसानियत का संदेश देते हुए कहा कि दिल में सबसे पहले हिंदुस्तान होना चाहिए। ताजवर सुल्ताना और प्रीता वाजपेयी की रचनाओं में सामाजिक यथार्थ और बेटियों के सशक्त भविष्य की झलक दिखी। हास्य कवि ओम शर्मा ओम ने तीखे व्यंग्य के साथ समाज की कड़वी सच्चाइयों पर हंसी का तड़का लगाया। वहीं, शैलेंद्र मधुर और नजीब इलाहाबादी ने व्यवस्था, फर्ज और इंसानियत पर सवाल उठाती रचनाओं से श्रोताओं को गहरी सोच में डाल दिया।


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