रायबरेली की सलोन तहसील में बने 52,855 फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों को निरस्त करने का काम शुरू हो गया है। विकास भवन के पंचायती राज विभाग में यह प्रक्रिया लगातार जारी है। रायबरेली में फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। वर्ष 2020 से 2023 के बीच कुल 53,267 जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए थे, जिनमें से प्रारंभिक जांच में 52,846 फर्जी पाए गए। केवल 421 प्रमाण पत्र ही सही मिले हैं। यह फर्जीवाड़ा रायबरेली जनपद की सलोन तहसील में सामने आया। इस फर्जीवाड़े में ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) जितेंद्र सिंह यादव और मोहम्मद जीशान नामक व्यक्ति की संलिप्तता सामने आई है। लगभग एक वर्ष पहले सलोन ब्लॉक में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने का मामला सामने आया था। सभी जन्म प्रमाण पत्र यहां स्थित सहज जनसेवा केंद्र से जारी हुए थे। जांच में पता चला कि जनसेवा केंद्र संचालक जीशान और उसके पिता रियाज ने ग्राम विकास अधिकारी की आईडी और पासवर्ड चुराकर फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए। इस संबंध में वीडीओ जितेंद्र सिंह यादव ने सलोन थाने में तहरीर दी थी कि उनकी आईडी पासवर्ड चोरी कर फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। हालांकि, शासन के निर्देश पर एटीएस की जांच में जितेंद्र यादव की जीशान के साथ मिलीभगत सामने आई। इसके बाद वीडीओ जितेंद्र सिंह, जीशान और उसके पिता रियाज को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच में सामने आया कि सलोन ब्लॉक की ग्यारह ग्राम सभाओं में हजारों ऐसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए, जिनका इन गांवों से कभी कोई संबंध नहीं रहा। डीपीआरओ की जांच रिपोर्ट में 52,855 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने की पुष्टि हुई। चर्चा थी कि यहां से पूरे देश के अलावा विदेशों में रहने वालों के भी जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए हैं। सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया था कि बांग्लादेश के किसी व्यक्ति का जन्म प्रमाण पत्र भी यहीं से जारी हुआ था।
इसे लेकर पूरे मामले में रोहिंग्या कनेक्शन की भी आशंका जताई गई थी। हालांकि इस मामले में एटीएस और एनआईए भी जांच कर रहा है इसलिए स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। एटीएस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि कहीं इस मामले में देश विरोधी गतिविधियों से जुड़े लोगों ने तो फ़र्ज़ी जन्म प्रमाणपत्र नहीं बनवा लिए हैं। इसी को लेकर निदेशक पंचायती राज ने जिलाधिकारी को चिट्ठी भेजकर इन्हे निरस्त करने का अनुमोदन किये जाने का अनुरोध किया था। जिलाधिकारी ने इन्हे निरस्त किये जाने का अनुमोदन कर चिट्ठी रजिस्ट्रार सेन्सस को भेज दी थी। दो दिन पहले शासन से इसका अनुमोदन मिलने के बाद से इन्हें निरस्त किया जाने लगा है। उधर इस मामले को लेकर हिन्दू वादी संगठनों से लेकर मुसलमान तक ने घुसपैठियों के खिलाफ योगी सरकार की मुहिम को सराहा है।
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