देवरिया में गोरखपुर रोड स्थित रेलवे ओवरब्रिज के पास राजस्व अभिलेखों में दर्ज मजार और कब्रिस्तान की प्रविष्टि को निरस्त कर दिया गया है। एएसडीएम अवधेश निगम की कोर्ट ने पांच दिन पहले यह कार्रवाई की, जिसमें भूमि को कूटरचित पाया गया। अब इसे बंजर भूमि के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया गया है और वक्फ संपत्ति के रजिस्टर से भी हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जांच में यह पाया गया कि राजस्व अभिलेखों में मजार और कब्रिस्तान के रूप में की गई प्रविष्टि फर्जी थी। इसके बाद एएसडीएम कोर्ट ने इसे निरस्त करते हुए भूमि को मूल रूप से बंजर के रूप में बहाल करने का आदेश दिया। तहसील के अधिकारियों ने भूमि को बंजर के रूप में दर्ज कर लिया है। राजस्व अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टि उजागर होने के बाद जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेजा है। उन्होंने वक्फ रजिस्टर से इस प्रविष्टि को विलोपित करने का अनुरोध किया है। वक्फ बोर्ड के रजिस्टर (दफा 37, क्रमांक 19) में यह भूमि वर्ष 1993 से वक्फ मजार और कब्रिस्तान के रूप में दर्ज थी। प्रशासनिक जांच में सामने आया कि इस भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किए जाने में अनियमितता बरती गई थी। एएसडीएम कोर्ट द्वारा प्रविष्टि निरस्त होने के बाद, अब वक्फ रजिस्टर से इसे हटाने की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। उक्त मजार ‘अब्दुल गनी शाह बाबा’ और कब्रिस्तान की देखरेख एक प्रबंध समिति द्वारा की जा रही थी। इस समिति को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड से स्वीकृति भी प्राप्त थी। समिति के सदस्यों में मो. राशिद खां (अध्यक्ष), मो. जलालुद्दीन खां (उपाध्यक्ष), आमिर वारसी (सचिव), नसीम अंसारी (उप सचिव), मैनुद्दीन अंसारी (कोषाध्यक्ष) और मो. खालिद खां, महताब आलम, नबी उल्लाह खां, शाहिद खां, तारिक खां, फखरे आलम, कैमुल्लाह खां तथा गुफरान अंसारी शामिल थे।
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