यूपी के गोरखपुर में जीआरपी (GRP) ने 19 नवंबर को 55 लाख रुपए कीमत के 248 मोबाइल उनके मालिकों को लौटाए। मेरठ रेंज की पुलिस इस साल 5 हजार मोबाइल रिकवर करके लोगों को वापस कर चुकी है। ये वो मोबाइल हैं, जो चोरी या खो चुके थे। इन मोबाइलों की रिकवरी संभव हुई है सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) पोर्टल से। प्रदेश में अक्टूबर–2025 में इस पोर्टल पर मोबाइल गुम होने या ब्लॉक करने की करीब पौने 3 लाख शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 57761 मोबाइल बरामद कर लिए गए। आंकड़े बताते हैं कि अब जो मोबाइल रिकवर होते हैं, उसमें 50 फीसदी रिकवरी इसी पोर्टल की वजह से हो पा रही है। केंद्र सरकार का मोबाइल एप ‘संचार साथी’ इसी पोर्टल का ही हिस्सा है जिस पर देशभर में हल्ला मचा। हालांकि, भारी विरोध के बाद इसे सरकार ने ऐच्छिक कर दिया है। आखिर गुम मोबाइल कैसे बरामद होते हैं? गुम मोबाइलों की कंप्लेंट रजिस्टर करने की प्रक्रिया क्या है? पुलिस कैसे उन्हें ढूंढती है? लूट-चोरी के मोबाइलों को खपाने का नेटवर्क क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले तीन केस स्टडी DIG बोले– मोबाइल चालू होते ही लोकल पुलिस के पास आता है अलर्ट CEIR पोर्टल पर इन मोबाइलों की शिकायत और रिकवरी का प्रोसेस समझने के लिए हमने मेरठ रेंज के DIG कलानिधि नैथानी से बात की। उन्होंने बताया– भारत सरकार के दूरसंचार विभाग का एक पोर्टल सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (ceir.gov.in) है। यदि किसी का मोबाइल कहीं चोरी या गुम हुआ है तो संंबंधित व्यक्ति उस पोर्टल पर कंप्लेंट रजिस्टर कर सकता है। एक प्रावधान तो ये होता है कि व्यक्ति संबंधित पुलिस स्टेशन पर जाकर अपनी शिकायत दे सकता है। दूसरा माध्यम ये पोर्टल है। एफआईआर के साथ–साथ इस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने से ये फायदा होता है कि भविष्य में कभी भी अगर वो फोन चालू होगा तो एक अलर्ट जारी हो जाता है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र से चोरी हुआ फोन अगर मेरठ में चालू होता है तो मेरठ में लोकल पुलिस के पास अलर्ट मैसेज आ जाता है। हर जिले में साइबर सेल को इसका नोडल बनाया गया है। फिर हम लोकल स्तर पर एक टीम गठित करके उस मोबाइल को रिकवर करना सुनिश्चित करते हैं। DIG ने बताया– मैं हाल ही में हापुड़ जिले के एक थाने पर गया। वहां मुझे एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिसका मोबाइल दो साल पहले खो गया था और इसी पोर्टल के जरिए अपना मोबाइल पाकर वो काफी खुश था। मेरठ रेंज में इस साल पांच हजार से ज्यादा फोन इसी पोर्टल के जरिए रिकवर हो चुके हैं। यूपी से चीन, दुबई, नेपाल तक बिकने जाते हैं लूट–चोरी के मोबाइल मेरठ पुलिस ने अक्टूबर–2019 में मोबाइल चोरों का इंटरनेशनल गैंग पकड़ा था। करीब एक करोड़ रुपए कीमत के मोबाइल रिकवर हुए थे। ये गैंग मेरठ में ब्रह्मपुरी का शरद गोस्वामी चला रहा था। शरद सहित 7 आरोपी पकड़े गए थे। खुलासा हुआ था कि लूट–चोरी के मोबाइलों की सप्लाई चीन, दुबई, नेपाल तक होती है। शरद गोस्वामी ने ऐसा गैंग तैयार कर रखा था, जो सरेराह लोगों से मोबाइल लूटता था। इसके बाद 100–100 के पैकेट तैयार करके ये मोबाइल विदेश भेजे जाते थे। मेरठ के अलावा भी यूपी के कई शहरों में इसी तरह के गैंग पकड़े गए हैं। दरअसल, भारत के मोबाइल जब विदेश में जाकर बिक जाते हैं तो उन्हें ट्रैक करना संभव नहीं होता। क्योंकि भारत के मोबाइल में जो IMEI नंबर होता है, वो विदेश में रन नहीं हो पाता। इसलिए अगर लूट–चोरी का मोबाइल एक बार विदेश चला गया तो पुलिस उसे कभी ट्रैक नहीं कर सकेगी। संचार साथी एप बताएगा फोन चोरी का है या नहीं? हाल ही में संचार साथी एप का मामला चर्चाओं में है। दरअसल, ये एक साइबर सिक्योरिटी टूल है। ये 17 जनवरी 2025 को मोबाइल एप के रूप में पेश किया गया। सरकार के अनुसार– अगस्त 2025 तक 50 लाख से अधिक बार इस एप को डाउनलोड किया जा चुका है और इस एप के जरिए अब तक 37 लाख गुम मोबाइलों को खोजा जा चुका है। बीते दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स आईं कि सरकार इस एप को नए फोन में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल कराने जा रही है। विपक्ष ने इसका खूब विरोध किया। जिसके बाद सरकार ने स्पष्ट कहा है कि नए मोबाइल्स में इस एप की अनिवार्यता नहीं है। यूजर्स अपनी इच्छा के मुताबिक इस एप को इंस्टॉल या अन-इंस्टॉल कर सकते हैं। यूजर्स जब इस एप को फोन में खोलते हैं तो सबसे पहले ये मोबाइल नंबर मांगता है। नंबर डालने पर एक OTP आता है। OTP दर्ज करते ही वो फोन इस एप से कनेक्ट हो जाता है। इसके बाद ये एप फोन के IMEI नंबर को पहचान लेता है और उसको दूरसंचार विभाग की सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) के डेटाबेस से जांचता है। इससे ये पता चल जाता है कि मोबाइल कहीं चोरी की तो नहीं, कोई एफआईआर तो नहीं, या चोरी का मामला तो दर्ज नहीं। फोन ब्लैक लिस्टेड तो नहीं है। ये एप हिन्दी और 21 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। ——————– ये खबर भी पढ़ें… कफ सिरप का मास्टरमाइंड गिड़गिड़ाया, बोला-बेगुनाह हूं:योगीजी जांच करवाइए…सबूत दूंगा; अखिलेश भ्रम न फैलाएं मैंने कोई जहरीली सिरप नहीं बेची। मेरी द्वारा बेची गई दवाओं से बच्चों की मौत नहीं हुई। मैं क्लियर करना चाहता हूं, ये सभी बातें झूठी हैं। फेंसिडिल (Phensydil) सिरप न तो जहरीली है, न ही प्रतिबंधित है। न ही इससे बच्चों की मौत हुई है। सपा प्रमुख अखिलेश और अन्य नेताओं से मैं कहना चाहता हूं कि ऐसी राजनीति न करें। लोगों को भ्रम में न डालें। मैं सीएम योगी से हाथ जोड़कर कहता हूं कि मैं बेगुनाह हूं। मुझे फंसाया जा रहा है। सीएम जी, हमारी मदद कीजिए। आप जांच करा लीजिए। मेरे पास हर तरह के सबूत हैं। पढ़ें पूरी खबर
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