वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के तहत लॉन्च किए गए ‘उम्मीद पोर्टल’ पर वक्फ संपत्तियों के डिटेल अपलोड करने की अंतिम समय सीमा 5 दिसंबर 2025 को समाप्त होने वाली है। लेकिन तकनीकी खामियों, पुराने दस्तावेजों की कमी और अपर्याप्त समय के कारण बड़ी संख्या में संपत्तियां पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पा रही हैं। तारीख बढ़ाए जाने की उम्मीदों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जबकि पोर्टल पर आ रही दिक्कतों को देखते हुए 5 दिसंबर तक 50 फीसदी विवरण भी अपलोड होना नामुमकिन लग रहा। पोर्टल में क्या दिक्कतें आ रही हैं? अफसरों का क्या तर्क है? चेयरमैन की आगे की क्या रणनीति है? धर्म गुरुओं का क्या कहना है? इसे जानने की कोशिश की है, दैनिक भास्कर ने। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के प्रावधानों के तहत सभी पंजीकृत वक्फ संपत्तियों जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ (उपयोग से बनी वक्फ) भी शामिल हैं, का विवरण केंद्रीय वक्फ पोर्टल ‘यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (UMEED) पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड करना है। एक्ट 8 अप्रैल 2025 को लागू हुआ, जिसके छह महीने बाद यानी 5 दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी होनी थी। लेकिन वास्तविकता कुछ और है। पोर्टल 6 जून 2025 को लॉन्च हुआ और नियम 3 जुलाई को अधिसूचित हुए। ठीक से पोर्टल पर संपत्तियों के अपलोडिंग का काम सितंबर महीने में शुरू हो सका। पोर्टल न चलने की शिकायत, अपलोड करने में आ रही परेशानी सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीईओ मासूम अली सरवर बताते हैं कि उम्मीद पोर्टल पर यूपी में अब तक करीब 50 हजार संपत्तियों को अपलोड किया गया है। पोर्टल में आ रही दिक्कतों के चलते काम प्रभावित हो रहा है। बचे दो से तीन दिनों में करीब सवा लाख संपत्तियों को अपलोड करना नामुमकिन लग रहा है। एक दिन में 2-3 संपत्तियों के दस्तावेज ही कर पा रहे अपलोड शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद अली जैदी बताते हैं कि यूपी में कुल 7800 के करीब वक्फ संपत्तियां शिया वक्फ बोर्ड में रजिस्टर हैं। इसमें से अब तक मात्र 3600 संपत्तियां ही umeed.minorityaffairs.gov.in पर अपलोड हो सकी हैं। पोर्टल साथ बिल्कुल नहीं दे रहा है। अगर पोर्टल साथ दे रहा होता तो अब तक 50 प्रतिशत से अधिक वक्फ दस्तावेज अपलोड हो चुके होते। उन्होंने बताया कि उम्मीद पोर्टल पर संपत्तियां अपलोड किए जाने की मांग को लेकर लगातार पत्राचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन से 6 महीने का समय लगेगा पूरा डेटा अपलोड होने में। शिया वक्फ बोर्ड के सीईओ जीशान रिजवी का कहना है कि पोर्टल इतना धीमा है कि दिन में केवल दो-तीन संपत्तियां ही अपलोड हो पाती हैं। कभी-कभी चार तक पहुंच जाते हैं, लेकिन इससे ज्यादा नहीं। सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है समय बढ़ाने की मांग वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से समय बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन एपेक्स कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने वक्फ ट्रिब्यूनल के रास्ते राहत की गुंजाइश दिखाई। पहली दिसंबर को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई की थी। AIMPLB समेत कई याचिकाकर्ताओं ने समय बढ़ाने की मांग रखी। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, ए.एम. सिंहवी और एम.आर. शमशाद ने तर्क दिया कि पोर्टल में ग्लिच हैं, पूरे देश में केवल 1.6 लाख संपत्तियां ही अपलोड हो सकी हैं और पुरानी वक्फ के लिए डेटा जुटाना असंभव हो रहा है। सिंहवी ने नोट सौंपा जिसमें गड़बड़ियों का विवरण था। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध करते हुए कहा कि कई वक्फ पहले ही रजिस्टर हो चुके हैं। समय बढ़ाना कानून में बदलाव होगा। ऐसे वाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल सक्षम है। बेंच ने सहमति जताई और कहा- ट्रिब्यूनल मामले-दर-मामले राहत दे सकता है। हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे। ट्रिब्यूनल में कर सकते हैं अपील बीते मंगलवार को वक्फ बोर्डों के साथ ऑनलाइन बैठक हुई, जहां गड़बडियों को ठीक करने का आश्वासन दिया गया। मंत्री रिजिजू ने कहा, “मैंने कई अनुरोध प्राप्त किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर को अंतिम तिथि बरकरार रखी। अब ट्रिब्यूनल ही विकल्प है। वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा 3बी के तहत, मुतवल्ली ट्रिब्यूनल से अतिरिक्त छह महीने की मांग कर सकते हैं। यदि पर्याप्त कारण मिलते हैं तो ट्रिब्युनल समय अवधि बढ़ा सकता है। 10 लाख संपत्तियों को अपलोड करने के लिए 6 माह का समय कम कांग्रेस के नेता इमरान मसूद ने दैनिक भास्कर को बताया कि जो समयावधि दी गई थी, वह अव्यवहारिक थी। 6 महीने में 10 लाख संपत्तियां को अपलोड कर पाना ना मुमकिन है। उम्मीद पोर्टल पर ऐसे-ऐसे दस्तावेज मांगे गए हैं, जिन्हें इकट्ठा करने में ही समय लग रहा। उन्होंने बताया कि इस मसले को लेकर साथी सांसद उज्जवल रमण सिंह और तनुज पुनिया के साथ उन्होंने वक्फ मंत्री से मुलाकात की थी। मंत्री ने खामियों को दूर करने का भरोसा दिलाया है। सांसद मसूद ने सवाल उठाया कि तकनीकी खामियों का जिम्मेदार कौन? पुरानी वक्फ का क्या होगा? 100 साल पुरानी वक्फ के लिए वाकिफ का नाम कैसे अपलोड करें? नहीं करने पर पोर्टल रिजेक्ट कर देता है। नहीं मिली राहत तो सरकारी हस्तक्षेप के दायरे में आ जाएंगी संपत्तियां सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील शारिक अब्बासी ने बताया कि जो संपत्तियां 5 दिसंबर तक अपलोड नहीं हो पाएंगी, उसके लिए ट्रिब्युनल जाना होगा। ट्रिब्युनल से भी फैसला अगर खिलाफ आता है तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रास्ते खुले हैं। इसके बाद भी राहत नहीं मिलती है तो ऐसी संपत्तियां सरकारी हस्तक्षेप के दायरे में आ सकती हैं। …………… ये खबर भी पढ़ें… यूपी की हिंदू-मुस्लिम 2 छात्राओं को ढूंढ रहे 70 पुलिसवाले:67 रेलवे स्टेशनों पर पूछताछ, लास्ट लोकेशन 1200 KM दूर यूपी के बिजनौर जिले से दो छात्राएं 15 नवंबर से लापता हैं। एक 9वीं, दूसरी 12वीं की स्टूडेंट है। एक हिन्दू, दूसरी मुस्लिम है। दोनों घर से स्कूल के लिए निकलीं, फिर वापस नहीं लौटीं। 70 पुलिसवालों की 30 टीमें पूरे देश में उन्हें खोज रही हैं। CCTV फुटेज से पता चला है कि दोनों छात्राएं सहारनपुर से ट्रेन में बैठकर 1200 किलोमीटर दूर सूरत पहुंच गईं। सूरत के बाद लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाया। सहारनपुर (SRE) से मुंबई बांद्रा टर्मिनस (BDTS) तक कुल 67 रेलवे स्टेशनों पर पूछताछ और तलाश की गई। पढ़िए पूरी खबर…
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