इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा प्रदेश के कितने वकीलों पर कितने क्रिमिनल केस चल रहे हैं। सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया। राज्य सरकार ने बताया- प्रदेश में लगभग 3 हजार वकीलों पर क्रिमिनल केस चल रहे हैं। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने 15 दिसंबर को अगली सुनवाई पर जिलेवार सूची प्रस्तुत करने को कहा है। अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष कुमार मालवीय ने कोर्ट को जानकारी दी। बताया- अब तक की जांच में लगभग तीन हज़ार वकीलों पर चल रहे मुकदमों की जानकारी हुई है। यह संख्या अंतिम नहीं है। अभी और जानकारी जुटाई जा रही है। इसमें अभी समय लगेगा। DGP की ओर से दाखिल हलफनामे में वकीलों क्रिमिनल हिस्ट्री प्रस्तुत किया गया जबकि डीजी अभियोजन के हलफनामे में मुकदमों के ट्रायल की जानकारी दी गई। कोर्ट ने 15 दिसंबर को सारी जानकारी देने का निर्देश दिया है। साथ ही याची को इस मामले में यूपी बार कौंसिल को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। जानिए 2 दिसंबर को कोर्ट ने क्या कहा था एडवोकेट मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि याची स्वयं गैंगस्टर एक्ट सहित कई आपराधिक मामलों में शामिल है। यहीं नहीं भाई कुख्यात अपराधी हैं । कोर्ट ने वकीलों के क्रिमिनल बैकग्राउंड के न्याय प्रशासन पर प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा था कि अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी विशिष्ट संस्थागत स्थिति रखते हैं। वे कोर्ट के अधिकारी भी हैं और पेशेवर नैतिकता के संरक्षक भी। जब गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति कानूनी प्रणाली में प्रभाव वाले पदों पर होते हैं तो यह वैध चिंता का विषय है। ऐसे में ये पेशेवर वैधता की आड़ में पुलिस अधिकारियों और न्यायिक प्रक्रियाओं पर अनुचित प्रभाव डाल सकते हैं। कोर्ट ने सभी कमिश्नर/एसएसपी/एसपी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को यूपी बार कौंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का व्यापक विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने वकीलों पर हुए FIR की डिटेल मांगी कोर्ट के आदेश के अनुसार इन अधिकारियों को अधिवक्ता के खिलाफ दर्ज FIR पंजीकरण की तिथि और अपराध संख्या, धाराएं और संबंधित थाना, विवेचना की वर्तमान स्थिति, चार्जशीट दाखिल करने और आरोप तय करने की तिथि, अब तक परीक्षित गवाहों का विवरण और ट्रायल की स्थिति का विवरण पेश करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस से संबंधित विवरण डीजीपी और अभियोजन पक्ष की जानकारी डीजीपी अभियोजन की ओर से प्रस्तुत की जाएगी। साथ ही चेतावनी दी कि प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा। याची वकील ने अपर सत्र न्यायाधीश के आदेश को दी थी चुनौती याची मोहम्मद कफील ने याचिका में ने इटावा के अपर सत्र न्यायाधीश के गत 18 मार्च के आदेश को चुनौती दी है। अपर सत्र न्यायाधीश ने सीजेएम के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें पुलिस अधिकारियों को तलब करने की याची की प्रार्थना खारिज कर दी गई थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर याची और उसके भाइयों के आपराधिक इतिहास का खुलासा किया। हलफनामे में यह भी बताया गया कि याची के पांच भाई शकील, नौशाद, अकील, फैजान उर्फ गुडून और दिलशाद गंभीर अपराधों में नामजद हैं। इन पर हत्या का प्रयास, गोहत्या, जुआ अधिनियम और गैंगस्टर एक्ट व पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। याची ने भी पूरक हलफनामे दाखिल कर स्वीकार किया कि उस पर कुछ मामले दर्ज हैं। हालांकि उसने पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप भी लगाया। इटावा कोतवाली के इंस्पेक्टर के हलफनामे से खुलासा हुआ कि याची अधिवक्ता तीन आपराधिक मामलों में शामिल है।
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