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मौत के बाद भोलाराम की आत्मा यमदूतों से भागी:लापता होने नारदमुनि आए पृथ्वीलोक, फिर भी कोई ढूंढ नहीं पाया; लखनऊ में नाटक का मंचन

लखनऊ में भोलाराम नाम के आदमी की मौत हो गई। इसके बाद उसकी आत्मा यमदूतों से बचकर भाग गई। आत्मा के लापता होने के बाद नारदमुनि को पृथ्वीलोक पर आना पड़ा। उन्होंने भी बहुत ढूंढा लेकिन भोलाराम की आत्मा नहीं मिली। यह कोई असलियत नहीं, बल्कि गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में खेले गए एक नाटक के सीन हैं। अकादमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में शुक्रवार को ‘आत्मा… एक खोज’ नाटक का मंचन किया गया। कामायनी लखनऊ संस्था की ओर से रॉक स्टार सेवेन्थ क्रिएशन सोसाइटी के बैनर तले संगीत नाटक अकादमी के में नाटक दिखाया गया। कलाकारों के मंचन पर लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। यह नाटक व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध रचना ‘भोलाराम का जीव’ पर आधारित था। रूपांतरण और निर्देशन प्रदीप श्रीवास्तव ने किया। नाटक वर्तमान समाज की उस विडंबना को उजागर करता है जहां व्यवस्था में भ्रष्टाचार एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। यह दर्शाता है कि फाइलों को आगे बढ़ाने और काम कराने के लिए ‘वजन’ और ‘तेल’ की आवश्यकता होती है। कहानी एक निम्नवर्गीय सरकारी कर्मचारी भोलाराम की है, जिसकी पेंशन रिश्वतखोरी और अफसरशाही के चलते अटक जाती है। आत्मा यमदूतों से बचकर भाग निकलती संघर्ष करते हुए भोलाराम की मृत्यु हो जाती है, लेकिन उसकी आत्मा यमदूतों से बचकर भाग निकलती है। यहीं से एक हास्यपूर्ण और गंभीर खोज शुरू होती है। यमराज और चित्रगुप्त के रजिस्टर में पहली बार किसी मृतक का जीव न पहुंचने से स्वर्गलोक में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता है। नारदमुनि दो यमदूतों के साथ पृथ्वी पर आते हैं, जहां उन्हें पता चलता है कि मनुष्य ने भले ही तरक्की कर ली हो, लेकिन ईमानदारी के रास्ते पर नहीं है। इन कलाकारों ने नाटक में किरदार निभाए नाटक में मनोज श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव (एडवोकेट), नवीन श्रीवास्तव, अंकुर सक्सेना, गिरीश अभीष्ट, विपिन कुमार, नीरज शर्मा, सोमेंद्र सिंह, दिव्या जीत और अनमोल जैसे प्रमुख कलाकारों किरदार निभाए।


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