हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने, बेचने तथा जारी करने के मामले में उत्तर प्रदेश शासन ने एक जांच समिति का गठन किया है। उच्च शिक्षा अनुभाग-1 के संयुक्त सचिव ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में यह समिति बनाई है। जिलाधिकारी शुक्रवार को सुबह 10 बजे विश्वविद्यालय के कुलपति के कक्ष में जनसामान्य के बयान दर्ज करेंगे। कोई भी दर्ज करा सकता है बयान इस मामले में जिन व्यक्तियों के पास कोई जानकारी है या जो इस धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं, वे जिलाधिकारी के समक्ष अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। इन बयानों के आधार पर जिलाधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय शुक्रवार को सुबह 10 बजे से दोपहर तक विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यालय में उपस्थित रहकर जनसुनवाई करेंगे। फर्जीवाड़े से संबंधित गोपनीय जानकारी रखने वाले लोग भी जिलाधिकारी को अपने बयान दे सकते हैं। कई राज्यों में फैला है नेटवर्क जांच में सामने आया है कि फर्जी डिग्रियों का मूल्य लोगों की आवश्यकता के अनुसार तय किया जाता था। कुछ डिग्रियां 10 लाख रुपये तक में बेचे जाने के साक्ष्य भी मिले हैं। एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में 100 से अधिक आरोपियों के शामिल होने के संकेत मिले हैं। एसटीएफ की अब तक की जांच से पता चला है कि मोनाड यूनिवर्सिटी से नौ राज्यों के युवाओं को फर्जी डिग्रियां बेची गईं थीं। इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र प्रमुख हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इन राज्यों में एक लाख से अधिक फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं, जिनमें बिहार में एमए और बीएड की डिग्रियां सबसे अधिक थीं।
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