मजदूर संघर्ष संगठन (एमएसएस) ने मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) और देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन 21 नवंबर की अधिसूचना के विरोध में किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा गया। ज्ञापन में चार श्रम संहिताओं को श्रमिक-विरोधी बताते हुए उनके पुनर्विचार और निरस्तीकरण की मांग उठाई गई है। संगठनों का आरोप है कि नई श्रम संहिताएं ‘हायर-एंड-फायर’ नीति को बढ़ावा देती हैं, कार्य-शर्तों को पूरी तरह नियोक्ता-केंद्रित बनाती हैं और ठेका प्रथा को और मजबूत करती हैं। मजदूर संगठनों के अनुसार इन बदलावों से स्थायी नौकरियों की संख्या घटेगी, यूनियन गतिविधियों पर प्रभाव पड़ेगा और श्रम निरीक्षण व्यवस्था लगभग निष्प्रभावी हो जाएगी। मजदूर संघर्ष संगठन के जिला अध्यक्ष उत्कर्ष ने बताया कि 21 नवंबर से मेरठ की मजदूर बस्तियों और औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार सभाएं और विरोध कार्यक्रम जारी हैं। श्रमिक बड़े पैमाने पर इन संहिताओं के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ज्ञापन में विवादित अधिसूचना वापस लेने, श्रमिक-हित आधारित पारदर्शी राष्ट्रीय समिति बनाने, न्यूनतम मजदूरी 30,000 रुपए निर्धारित करने, मनरेगा श्रमिकों के लिए 1,000 रुपए प्रतिदिन और वर्ष में 300 दिन रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की गई है। साथ ही नफरत आधारित राजनीति पर रोक लगाने की भी अपील की गई। इस प्रदर्शन में मजदूर संघर्ष संगठन से महिला मोर्चा अध्यक्ष जैनब, कार्यालय सचिव आशुतोष सहित बड़ी संख्या में मजदूर शामिल हुए। किसान एकता केंद्र, मेरठ से वसीम और अन्य किसान भी समर्थन में मौजूद थे।
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