साल 2008… मेरठ की प्रेमप्रयाग कॉलोनी में उस रात अजीब-सा सन्नाटा था। एक ऐसी रात, जिसने ‘दो लड़कियों’ के इश्क को खून से रंग दिया। दिल्ली के हॉस्टल में शुरू दोस्ती एक ऐसे रिश्ते में बदली जिसे समाज ने ‘पाप’ कहा और दुनिया ने ‘नामंजूर’ कर दिया। फिर सामने आई इश्क की सबसे खतरनाक शक्ल, जिसने साथ ‘जीने’ के लिए मां-बाप को मार दिया। आज ‘कातिले इश्क’ के दूसरे एपिसोड में पढ़िए ‘मिस मेरठ’ रह चुकी प्रियंका और अंजू के प्यार और जुनून की कहानी। एक ऐसा इश्क, जिसने दो जानें लीं और दो जिंदगियों को उम्रकैद की सलाखों में कैद कर दिया… मार्च, 2005 दिल्ली से सटे वेस्ट यूपी के शहर मेरठ में ब्यूटी कॉन्टेस्ट चल रहा था। रैंपवॉक, ट्रेडिशनल ड्रेसिंग जैसे कई तरह के राउंड्स के बाद फाइनल क्वैश्चन-आंसर सेशन होना था। साड़ी पहने एक गोरी लड़की स्टेज पर खड़ी थी। जज ने सवाल किया- “अगर आप मिस मेरठ चुनी जाती हैं, तो सबसे पहले क्या करेंगीं?” जवाब आया- “अपनी मां को याद करूंगी।” इस उत्तर से जज काफी प्रभावित हुए थे। आखिरकार फैसले की घड़ी आई। जोर-शोर से रिजल्ट अनाउंस हुआ- “मिस मेरठ 2005 की विजेता हैं… प्रियंका सिंह…” साल 2006 “पापा मुझे इंटीरियर डिजाइनिंग सीखनी है।” प्रियंका ने पिता प्रेमवीर सिंह से कहा। यूपी पावर कार्पोरेशन में जूनियर इंजीनियर (JE) रहे प्रेमवीर सिंह खुले विचारों के थे। उन्होंने हामी भरते हुए कहा- “मैंने कभी कुछ करने से तुम्हें रोका है? फैशन की दुनिया में अवॉर्ड पा चुकी हो तो यह फैशनेबल कोर्स भी कर लो।” ये सुनते ही प्रियंका उछल गई। पिता को गले लगाकर बोली- “थैंक्यू पापा…. थैंक्यू सो मच।” पिता ने बेटी का माथा चूमा और कहा- “जो भी करना दिल से करना। मैं तेरे हर डिसीजन के साथ हूं।” थोड़ा हिचकते हुए प्रियंका बोली- “पापा कोर्स के लिए मुझे दिल्ली जाना होगा।” प्रेमवीर कुछ देर चुप रहे, फिर बोले- “तू वहां अकेले कैसे रहेगी?” प्रियंका ने बेफिक्री से कहा- “अरे पापा, अब मैं बच्ची थोड़े न हूं। हॉस्टल में रहूंगी, कोई दिक्कत नहीं होगी।” आंखों में नई चमक लेकर प्रियंका दिल्ली आ गई। साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर विमेन में दाखिला लिया और हॉस्टल में रहने लगी। उसकी रूममेट बनी अंजू। अमरोहा की अंजू दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग सीख रही थी। जल्द ही दोनों पक्की सहेली बन गईं। दोस्ती बढ़ती गई, मेकअप और कपड़ों की अदला-बदली के साथ ही सुख-दुख भी साझा होने लगे। एक शाम प्रियंका काफी बेचैन थी। अंजू अभी तक लौटी नहीं थी। उसका फोन भी नहीं लग रहा था। प्रियंका के मन में रह-रहकर कई सवाल उठ रहे थे। “आखिर इतनी देर क्यों हो गई? कहीं उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया?” अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोला तो चेहरा लटकाए अंजू सामने खड़ी थी। उसके अंदर आते ही प्रियंका ने ताबड़तोड़ कई सवाल कर दिए- “इतनी देर से कहां थी? लेट हो रहा था तो इन्फॉर्म कर देती और तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा है?” अंजू चुपचाप सब सुनती रही, फिर अचानक बोली- “क्या तुम्हें सचमुच मेरी चिंता हो रही थी?” प्रियंका को गुस्सा आ गया- “ये कैसा सवाल है? चिंता क्यों नहीं होगी…” अंजू के चेहरे से उदासी झर गई- “सचमुच…” प्रियंका- “यहां दिल्ली में कौन है मेरा तुम्हारे सिवा।” फिर कुछ सेकेंड रुककर धीरे से कहा- “और शायद जिंदगी में भी…” अंजू- “रास्ते में लड़के रोज छेड़ते हैं। आई हेट मेन… ये सारे लड़के एक जैसे होते हैं।” प्रियंका भी उदास लहजे में बोली- “ऐसा हर लड़की के साथ होता है अंजू। ये हमारे जिंदगी का हिस्सा है, झेलना सिख जाओ।” तभी आगे बोली- “इसलिए मैं किसी लड़के के साथ रिलेशन में नहीं जाती। लड़कियों को ऐसे घूरते हैं, जैसे अभी खा जाएंगे।” अंजू बोली- “कल से हम दोनों साथ कॉलेज जाएंगे।” प्रियंका ने भी सिर हिला दिया। अब दोनों एक साथ कॉलेज आने-जाने लगीं। प्रियंका के लिए अंजू इंतजार करती और अंजू के लिए प्रियंका…। लड़के अब भी दोनों को छेड़ते, लेकिन शब्द बदल गए थे। सीटियों और फब्तियों के बजाय अब आवाज आती- “लेस्बियन हैं दोनों… अरे वही… आपस में ही कर लेती हैं।” प्रियंका और अंजू का दुख साझा था। नतीजा, दोनों और करीब आती गईं। एक दिन प्रियंका अंजू से कहती है- “जानती है लड़के हमारे बारे में क्या सोचते हैं?” अंजू ने न में सिर हिला दिया। प्रियंका ने धीरे से कहा- “उन्हें लगता है हम दोनों में नाजायज संबंध है।” अंजू का चेहरा लाल हो गया। मर्दों को गालियां देती हुई बोली- “ये संबंध नाजायज नहीं। इसे अपनापन कहते हैं, सच्चा प्यार कहते हैं। ये कुत्ते क्या जानें प्यार क्या होता है।” अंजू की ‘सच्चा प्यार’ वाली बात प्रियंका को समझ न आई। वो बस मुस्कुरा दी, लेकिन अंजू गंभीर थी। कुछ दिन बाद अंजू अचानक बीमार पड़ गई। उसे लगा आराम करेगी तो ठीक हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब प्रियंका भी परेशान हो गई। वो कॉलेज छोड़कर अंजू का ध्यान रखने में जुट गई। नहलाना, खिलाना, टाइम पर दवाई देना, बुखार तेज हो तो पट्टी करना। अंजू के मन में प्रियंका के लिए तो पहले से ही जगह थी, लेकिन अब प्रियंका भी अंजू की तरफ खिंच रही थी। एक शाम प्रियंका चाय बना रही थी। अंजू बिस्तर पर लेटी एकटक उसे देख रही थी। अंजू अचानक उठी और जाकर पीछे से प्रियंका के गले लग गई। प्रियंका हंसते हुए पीछे मुड़ी तो अंजू बोली- “आई लव यू प्रियंका, लव यू सो मच…” प्रियंका ने भी कहा- “लव यू टू अंजू…” अंजू बोली- “तू समझी नहीं प्रियंका, मैं तुमसे ‘बहुत’ प्यार करती हूं।” उसकी आंख में आंसू थे। उसने ‘बहुत’ पर एक्स्ट्रा जोर दिया था। फिर अचानक झटके से पीछे हट गई। आंसू पोंछते हुए बोली- “सॉरी… सॉरी प्रियंका, मैं कुछ ज्यादा बोल गई।। रियली सॉरी…” प्रियंका आगे बढ़ी और अंजू के होंठ पर उंगली रखकर बोली- “श्… कुछ मत बोल। मैं समझ गई तू क्या कहना चाहती है।” अंजू ने प्रियंका को फिर से गले लगा लिया। दोनों जानते थे कि इस रिश्ते को परिवार तो दूर दुनिया भी स्वीकार नहीं करेगी। घरवाले नाता तोड़ लेंगे। उस रात दोनों ने खूब बातें कीं और कब सो गए पता ही नहीं चला। अंजू और प्रियंका अब कपल की तरह रहने लगी थीं। पहले तो सिर्फ लड़के ही ताने मारते थे, अब लड़कियां भी उन्हें चिढ़ाने लगीं। इससे दोनों काफी मायूस रहा करतीं और कॉलेज जाने के अलावा अपना वक्त कमरे में ही बिताती थीं। एक दिन अंजू, प्रियंका बोली- “हमें अलग हो जाना चाहिए।” प्रियंका ने सुना और कुर्सी से उठकर बिस्तर पर जाकर बैठ गई। अंजू की तरफ घूरकर देखती रही, फिर अचानक बोली- “दोबारा ये बात मत बोलना। हम साथ हैं और साथ ही रहेंगे।” अंजू ने कहा- “घरवालों को कैसे बताएंगे?”
प्रियंका तपाक से बोली- “जैसे प्यार करने वाले बताते हैं।”
अंजू- “वो नहीं माने तो…?” प्रियंका- “प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा लेकर अलग हो जाएंगे।”
अंजू- “वो भी नहीं दिया तब?”
प्रियंका- “तब का तब देखेंगे।” दोनों इतने करीब आ चुके थे कि अब अलग होने का सवाल ही नहीं था। पलभर के लिए भी कोई अकेला रह जाता, तो दूसरे की याद में बेचैन होने लगता। अब प्रियंका घर जाती तो अंजू भी उसके साथ जाती। घर में भी दोनों साथ रहते। साथ खाते और साथ ही सोते भी। शुरुआत में घरवालों को सब नॉर्मल लगा, लेकिन फिर कई चीजें खटकने लगीं। एक बार प्रियंका, अपने पिता प्रेमवीर से बात कर रही थी। तभी प्रेमवीर ने पूछा- “ये अंजू अपने घर क्यों नहीं जाती? तुम जब भी आती हो, ये तुम्हारे साथ आती है?” प्रियंका बोली- “घरवाले उसे टॉर्चर करते हैं। उसकी शादी करना चाहते हैं।” प्रेमवीर ने कहा- “तो इसमें गलत क्या है? शादी की उम्र तो हो ही गई है। मैं भी तुम्हारे लिए लड़का ढूंढ रहा हूं।” शादी की बात सुनते ही प्रियंका तमतमा उठी। उसने गुस्से में कहा- “मैं किसी लड़के से शादी नहीं करूंगी।” प्रेमवीर- “किसी लड़के से नहीं… इसका क्या मतलब? किसी लड़की से करोगी?” प्रियंका ठिठक गई, गुस्सा दबाते हुए बोली- “पापा, आपने कहा था मैं अपनी पसंद से शादी कर सकती हूं। मैं अपने लिए किसी को ढूंढ लूंगी।” इतना कहकर प्रियंका कमरे में चली गई और पूरी बात अंजू को बताई। अंजू के दिमाग में एक आइडिया आया, बोली- “प्रियंका एक बात कहूं?” प्रियंका उदास मन से बोली- “तू कहेगी तो हम भाग चलेंगे।” अंजू मुस्कुराई- “भागते वो हैं जो बेवकूफ होते हैं। तू मेरे घर में रहेगी, मेरे साथ।” प्रियंका चिढ़कर बोली- “जो भी कहना है, साफ-साफ कहो।” अंजू ने समझाया- “मेरे भाई अजेंद्र की भी शादी की बात चल रही है। तू उससे बात करना शुरू कर और शादी कर ले।” प्रियंका नाराज होकर बोली- “कैसी बेहूदा बातें कर रही हो?” अंजू जोर से हंसी, फिर बोली- “पहले पूरी बात तो सुन। मेरा भाई ज्यादातर बाहर रहता है। तू उससे शादी करके घर पर रहेगी। मैं कभी शादी नहीं करूंगी और हमेशा तेरे साथ रहूंगी।” पहले तो ये प्रियंका को बहुत अजीब लगा, लेकिन बाद में अंजू के समझाने पर वो मान गई। कुछ दिन प्रियंका के घर रहकर दोनों अंजू के घर अमरोहा गईं। वहां प्रियंका, अजेंद्र से मिली। प्लान के मुताबिक, दिल्ली लौटने के बाद भी दोनों की बातचीत होती रही। प्रियंका से मिलने के लिए अजेंद्र एक-दो बार दिल्ली भी आया। एक दिन प्रियंका ने अजेंद्र से कहा- “मैं अब तुमसे रोज बात नहीं कर पाऊंगी और शायद कभी बात न करूं।” अजेंद्र को झटका लगा। वो प्रियंका के लिए पागल-सा हो गया था। अजेंद्र हड़बड़ाकर बोला- “मैंने कोई गलती हो गई क्या, तुम ऐसा क्यों कह रही हो?” प्रियंका बोली- “मेरे लिए लड़का देखा जा रहा। तुम मेरे साथ टाइमपास कर रहे हो, मुझसे शादी नहीं करोगे।” अजेंद्र ने गंभीर होकर कहा- “तुम जिस दिन कहोगी, उस दिन तुमसे शादी कर लूंगा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।” इसके कुछ दिनों बाद ही दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। अजेंद्र के घरवालों ने भी हामी भर दी। प्रियंका और अंजू अमरोहा आकर रहने लगे। उधर काफी दिनों तक प्रियंका का कुछ पता नहीं चला, तो उसके घरवाले परेशान हो गए। पुलिस में रिपोर्ट दी। बाद में सच्चाई पता चली तो घरवालों ने उससे रिश्ता तोड़ लिया। सारी प्रॉपर्टी बेटे गौरव के नाम कर दी। प्रियंका का पति अजेंद्र बाहर ही रहता था। एक दिन प्रियंका ने आरोप लगाया कि अजेंद्र के घरवाले उस पर गलत नजर रखते हैं। अंजू ने भी प्रियंका का साथ दिया और दोनों घर छोड़कर फिर से दिल्ली में रहने लगीं। काफी दिन बीत गए, अब गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। एक दिन प्रियंका ने अपने घर फोन किया। मां ने फोन उठाया और प्रियंका की आवाज सुनकर काट दिया। प्रियंका ने दोबारा कॉल किया तो गालियों की बौछार शुरू हो गई और फिर फोन कट गया। प्रियंका उदास होकर बैठ गई। उसकी आंख में आंसू थे। अंजू ने देखा तो वजह पूछी। प्रियंका ने सब बता दिया। ये सुनते ही अंजू चौंक गई, बोली- “फोन किया ही क्यों?” प्रियंका ने कहा- “मुझे मेरा हिस्सा चाहिए। पापा ने सारी प्रॉपर्टी भाई के नाम कर दी है। मुझे मेरा हक चाहिए। उससे हम दोनों का गुजर-बसर हो जाएगा। दोनों कोई जॉब भी ढूंढ़ लेंगे।” अंजू बोली- “तुझे लगता है तेरे घरवाले मान जाएंगे? मैं अपने घरवालों से कुछ मांगू तो वो लोग मेरी जान ले लेंगे।” अक्टूबर, 2008 अंजू और प्रियंका मेरठ आ गईं और टीपीनगर में कमरा लेकर रहने लगीं। एक दिन प्रियंका ने फिर अपने घर फोन किया। इस बार उसने प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा मांगा। घरवालों ने साफ मना कर दिया। 10 नवंबर 2008, रात करीब 8:30 बजे प्रियंका, अंजू के साथ अपने घर पहुंची। दरवाजा प्रियंका की मां संतोष ने खोला। अचानक बेटी को सामने देखकर चौंक गई, लेकिन दोनों को अंदर आने दिया। प्रियंका और अंजू को साथ देखकर पिता प्रेमवीर भड़क गए। संतोष ने उन्हें किसी तरह समझाकर शांत किया। घर पर पति-पत्नी ही थे। बेटा गौरव ऑस्ट्रेलिया में रहता था। संतोष दोनों लड़कियों को बेडरूम में ले जाकर बातचीत करने लगीं। मां-बेटी के बीच शिकायतों का दौर शुरू हो गया। प्रियंका बोले जा रही थी- “मम्मी, तुमने भैया को हमेशा प्यार किया। मुझे हमेशा दूसरी नजरों से देखा।” मां ने समझाया कि ऐसा नहीं है। इस पर प्रियंका बोली- “तो फिर सारी प्रॉपर्टी भाई के नाम क्यों कर दी? मैं कैसे जी रहूं, तुम्हें इसका अंदाजा नहीं है।” प्रियंका का लहजा देखकर संतोष फिर नाराज हो गईं, बोलीं- “तू मर भी रही हो तो उससे हम क्या करें। सब तेरा ही किया-धरा है। जिस दिन बेटे के नाम संपत्ति लिखी, उसी दिन तू हमारे लिए मर गई।” ये सुनते ही प्रियंका के खून में आग दौड़ गई। वो चिल्लाकर बोली- “ठीक है, तुम लोग भी मेरे लिए मर गए। मेरा हिस्सा मुझे दे दो, दोबारा तुम लोगों की शक्ल तक नहीं देखूंगी।” संतोष ने अंजू की तरफ इशारा करके कहा- “इस कुतिया की वजह से तेरी जबान चल रही न? इससे अच्छी तो एक @*डी होती है।” प्रियंका उठी और कमरे का गेट लॉक लिया। संतोष को लगा कि प्रियंका चीखा-चिल्ली करेगी, लेकिन उसने हाथापाई हाथापाई शुरू दी। संतोष ने पति को आवाज देनी चाही तो प्रियंका ने जोर से उनका मुंह दबा दिया। अंजू ने भी पीछे से संतोष को दबोच लिया। इसी जोर-जबरदस्ती में संतोष का दम घुट गया। शरीर ढीला पड़ गया और नाक से खून निकलने लगा। दोनों घबरा गईं। खून बंद करने के लिए प्रियंका ने क्रीम लगाई और फिर नाक में रुई लगा दी। प्रेमवीर ने दरवाजा खुलवाना चाहा, लेकिन काफी देर तक दोनों ने गेट नहीं खोला। काफी बहस के बाद दरवाजा खुला। पत्नी की हालत देखकर प्रेमवीर सन्न रह गए। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि बेटी ने अपनी मां को मार डाला था। प्रेमवीर सिंह, प्रियंका और अंजू पर टूट पड़े। तीनों की हाथापाई होने लगी। अचानक प्रेमवीर का सिर दीवार से टकरा गया। वे कुछ अचेत से हो गए। प्रियंका ने चाकू उठाया और पिता के सीने में उतार दिया। लगातार कई वार किए, जब तक कि प्रेमवीर की सांसें नहीं थम गईं। मां-बाप की हत्या के बाद भी दोनों वहीं डटी रहीं। खुद को बचाने के लिए मर्डर को लूट की तरह दिखाने की कोशिश की। प्रियंका ने अलमारी में रखे 50 हजार रुपए और जेवर निकाल लिए, फिक्स डिपॉजिट के कागज भी उठाए और चुपचाप दोनों घर से निकल गईं। 11 नवंबर की सुबह संतोष की बहन मंजूलता कई बार फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। उन्हें कुछ ठीक नहीं लगा। बहनोई प्रेमवीर सिंह भी फोन नहीं उठा रहे थे। मन में काफी उलझन थी। कुछ देर बाद वे उनके घर पहुंच गईं। मेन गेट पर ताला लगा था। वे चौंक गईं, उन्होंने फौरन भाई महिपाल को फोन किया। मोहल्लेवाले भी इकट्ठे होने लगे। पुलिस को फोन किया, ताला तोड़ा। हॉल में पहुंचकर देखा प्रेमवीर सिंह की लहूलुहान लाश पड़ी थी। संतोष की लाश कमरे में थी। ये देखते ही मंजूलता बेहोश हो गईं। शहर की पॉश कालोनी में हुए डबल मर्डर से पूरा मेरठ हिल गया। एसपी सिटी राकेश जौली और एसएसपी रघुवीर लाल भी मौके पर पहुंचे। देखने से लग रहा था कि लूटपाट के इरादे से मर्डर हुआ है, लेकिन कई सवाल भी उठ रहे थे। बिना किसी तोड़-फोड़ के घर में एंट्री की गई थी। यानी कातिल या लुटेरा आराम से घर के भीतर आया है। अलमारियों के ताले भी खुले थे, न कि तोड़े गए थे। पड़ोसियों ने बताया कि घर के कुत्ते की भौंकने की आवाज भी नहीं आई। यानी कुत्ते के सामने कोई परिचित था। लगभग सभी करीबी रिश्तेदार वहां मौजूद थे। उन्होंने बेटे के ऑस्ट्रेलिया में होने और बेटी प्रियंका की पूरी कहानी पुलिस को बता दी। प्रॉपर्टी की बात भी खुली। प्राइम सस्पेक्ट के रूप में प्रियंका ही सामने आ रही थी। उसका नंबर ट्रेस किया गया तो पता सिमकार्ड और मोबाइल एक्टिव नहीं है। लोकेशन हिस्ट्री से साफ हो गया कि मर्डर वाली रात वो प्रेमप्रयाग कॉलोनी के आस-पास थी। साथ ही पिछले एक महीने में उसकी लोकेशन मेरठ में ही टीपीनगर की मिली। पुलिस ने दांव खेला, वो टीपीनगर में कहीं छिपी हो सकती है। पुलिसवालों की रेकी शुरू हुई। कुछ सिपाहियों को सब्जीवाला बनाकर लगाया गया। दिन में कोई ऐसी लड़की नहीं दिखी जो प्रियंका और अंजू जैसी लगती हो। लेकिन पुलिस को बहुत मशक्कत नहीं करनी पड़ी। 17 नवंबर को दोनों पकड़ी गईं। पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मर्डर का घटनाक्रम सामने रख दिया। प्रियंका और अंजू ने भी मीडिया के सामने अपना गुनाह कुबूल किया। तय समय में चार्जशीट दाखिल हुई और सात साल चले ट्रायल के बाद 28 मई, 2015 को जिला अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों सहेलियां अब मेरठ जेल में अपने जुर्म का सजा भुगत रही हैं। *** स्टोरी एडिट- कृष्ण गोपाल *** रेफरेंस जर्नलिस्ट- अभिषेक शर्मा, सचिन त्यागी, अमित सैनी | रघुबीर लाल (तत्कालीन SSP, मेरठ) भास्कर टीम ने सीनियर जर्नलिस्ट्स, पुलिस, पीड़ितों और जानकारों से बात करने के बाद सभी कड़ियों को जोड़कर ये स्टोरी लिखी है। कहानी को रोचक बनाने के लिए क्रिएटिव लिबर्टी ली गई है। ———————————————————– ‘कातिले इश्क’ की ये स्टोरी भी पढ़ें… मां-बाप समेत घर के 6 लोगों को कुल्हाड़ी से काटा; दूसरी जाति में लव-मैरिज के खिलाफ थी फैमिली, बॉयफ्रेंड संग साजिश रची 14 अप्रैल 2008, अमरोहा का बावनखेड़ी गांव। रात करीब 2 बजे का वक्त। अचानक एक लड़की के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। गांववाले दौड़े, मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम बालकनी में दहाड़ मारकर रो रही थी। पड़ोसियों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। पूरी स्टोरी पढ़ें…
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