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महोबा में एंबुलेंस न मिलने से मजदूर की मौत:40 बार कॉल के बाद भी नहीं मिली सरकारी एंबुलेंस, रेफर के बाद तोड़ा दम

महोबा जिला अस्पताल से रेफर किए गए एक घायल मजदूर की एंबुलेंस न मिलने के कारण मौत हो गई। परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा को 40 से अधिक बार कॉल किया, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली वहीं कई बार कॉल में एंबुलेंस उपलब्ध न होने का भी जवाब मिला। मृतक धीरज अपने परिवार के साथ शहर के पठा रोड इलाके में किराए के मकान में रहकर मजदूरी करता था। वह बीती शाम अपने गांव से बाइक से लौट रहा था, तभी कैमाहा में एक अज्ञात चार पहिया वाहन ने उसे टक्कर मार दी। धीरज श्रीनगर थाना क्षेत्र के अतरारमाफ गांव का निवासी था। गंभीर रूप से घायल धीरज को परिजनों ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए रात करीब 9 बजे उसे उच्च चिकित्सा के लिए रेफर कर दिया। रेफर के बाद परिवार ने एंबुलेंस सेवा 108 पर लगातार कॉल किए। परिजनों के अनुसार, उन्होंने लगभग 40 बार फोन किया, जिसमें फोन उठा मगर उचित जवाब नहीं मिला तो कई बार बार ‘एंबुलेंस फुल’ होने का जवाब भी दिया गया। छह घंटे तक एंबुलेंस न मिलने के कारण धीरज को मेडिकल कॉलेज नहीं ले जाया जा सका और इसी बीच उसने दम तोड़ दिया। मृतक के भांजे भोला प्रसाद ने बताया कि उनके मामा धीरज को अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी थी। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण निजी एंबुलेंस का खर्च वहन नहीं कर सकता था। धीरज की पत्नी सुनीता और तीन छोटे बच्चे अब बेसहारा हो गए हैं। परिजनों और स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य सेवाओं में इस लापरवाही पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही के कारण किसी अन्य मरीज की जान खतरे में न पड़े। इस घटना ने महोबा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। एंबुलेंस सेवा में देरी के कारण एक परिवार में मातम पसर गया, जो प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है।


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