महराजगंज के निचलौल स्थित भेड़िया ग्राम पंचायत में 3.79 लाख रुपये के भुगतान में गंभीर वित्तीय अनियमितता सामने आई है। तकनीकी स्वीकृति (टीएस) मिलने से 10 महीने पहले ही यह भुगतान कर दिया गया था। ग्रामीणों की शिकायत और दस्तावेजों से पुष्टि के बावजूद, आरोपी ग्राम प्रधान और दो बार निलंबित हो चुके सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, सचिव ने 25 जनवरी को बिना किसी बिल-बाउचर या अनिवार्य दस्तावेज के तीन अलग-अलग भुगतान जारी किए थे। इनमें 1,98,600 रुपये, 1,15,000 रुपये और 66,200 रुपये शामिल हैं, जिनका कुल योग 3.79 लाख रुपये है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कार्यों से संबंधित संयुक्त एस्टीमेट के आधार पर तकनीकी स्वीकृति 13 नवंबर 2025 को मिली थी। इस प्रकार, लगभग 10 महीने पहले ही यह भुगतान अवैध रूप से कर दिया गया, जो वित्तीय नियमों का सीधा उल्लंघन है। इस बड़े घोटाले के उजागर होने के बावजूद, कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। ब्लॉक स्तर के अधिकारी सचिव के कृत्य को “तकनीकी गलती” बताकर बचाने में लगे हैं, जबकि विकास भवन के कुछ अधिकारी भी इस मुद्दे पर आगे बढ़ने से बच रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों का यह रवैया बड़े स्तर पर मिलीभगत की ओर इशारा करता है। ग्रामीणों ने बताया कि संबंधित सचिव को निचलौल ब्लॉक से पहले भी दो बार निलंबित किया जा चुका है। इसके बावजूद वह बार-बार नियमों का उल्लंघन कर बच निकलता है। यह दर्शाता है कि विभागीय संरक्षण के बिना इतनी बड़ी अनियमितता संभव नहीं है। दैनिक भास्कर द्वारा इस मामले का खुलासा किए जाने के बाद यह प्रकरण सुर्खियों में आया था। हालांकि, विभाग अभी भी ठोस कार्रवाई करने में असमर्थ या अनिच्छुक दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र उच्चस्तरीय जांच नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस पूरे प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की चुप्पी और आरोपियों को बचाने के प्रयास स्पष्ट संकेत देते हैं कि भेड़िया पंचायत का यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि संरक्षण के माध्यम से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक उदाहरण बनता जा रहा है।
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