दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में मंगलवार को भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्रित कोर्सेज और प्रोजेक्ट्स के निर्धारण के लिए इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) कॉनक्लेव का आयोजन हुआ। इस कॉनक्लेव में शामिल सभी विशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्रित कोर्सेज अपने सुझाव पेश किए। जिसका रिपोर्ट 15 दिसंबर को नीति आयोग के सामने पेश किया जाएगा। प्रोग्राम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने किया। इस दौरान उन्होंने सभी विभागों का आह्वान किया कि वे अपने यहां एक आईकेएस वॉल बनाएं और इस फलक पर भारतीय ज्ञान परंपरा के ऐसे सूत्र और चित्र लगाएं जिससे विद्यार्थी शिक्षित और प्रेरित हों। मार्गदर्शन का अमूल्य स्रोत कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि भारतीय ज्ञान सभी विषयों और अध्ययनों के लिए मार्गदर्शन का अमूल्य स्रोत है। आधुनिक ज्ञान प्रणालियों में उपयोगिता का तत्व प्रभावी है,जबकि प्राचीन ज्ञान मनुष्यता और लोक कल्याण की भावना से भरपूर है। इसलिए जरूरी है कि हम आधुनिक प्रणालियों का उपयोग करते हुए उन्हें प्राचीन ज्ञान परंपरा के आलोक में करे। भारतीय ज्ञान परंपरा भारत की सॉफ्ट पावर
कॉनक्लेव में मुख्य अतिथि के तौर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय , अमरकंटक के पूर्व कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि यह ज्ञान भारत की सॉफ्ट पावर है। इसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के रूप में दुनिया भर में सम्मान और मान्यता मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम सभी अपने अपने विषयों से संबंधित इस ज्ञान को संकलित, प्रमाणित , प्रकाशित और प्रसारित करें। आईकेएस सेल का हो गठन
सम्मेलन में विशेषज्ञ वक्तव्य देते हुए दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान, भोपाल के डायरेक्टर डॉ. मुकेश मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा के असंख्य स्रोतों और सूत्रों को संकलित करते हुए लगातार ऐसे प्रयास करने जरूरी हैं। जिससे हमारे मानस में इस ज्ञानसागर के प्रति स्वाभाविक जिज्ञासा बने। उन्होंने शिक्षा केंद्रों में आईकेएस सेल के गठन और ज्ञान परंपरा विषयक वार्षिक आयोजन कैलेंडर तैयार करने जैसे अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कॉन्क्लेव में एक अन्य विशेषज्ञ वक्ता के रूप में प्रो आलोक श्रोत्रिय ने व्यवस्थित ढंग से विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लक्ष्य के हिसाब से भारतीय ज्ञान परंपरा विषयक अध्ययन, शोध और नवाचारों के लघु अवधि, मध्य अवधि और दीर्घ अवधि के कार्यक्रमों और परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए इसे समय से संपन्न करने की आवश्यकता पर बल दिया। कॉनक्लेव में सभी डीन, एचओडी और डायरेक्टर्स ने अपने-अपने विषयों में संभावित पाठ्यक्रमों, परियोजनाओं, प्रकल्पों और रणनीतियों के बारे में अपने विचार रखें। कॉनक्लेव के संयोजक प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्हा ने बताया कि सभी विचारों को संकलित करके इसे प्रदेश शासन के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, जिस पर इसी सप्ताह नीति आयोग में चर्चा होगी। कॉनक्लेव में आए प्रमुख सुझाव
कॉनक्लेव में नाथ पंथ के केंद्र और योग, दर्शन पाठ्यक्र, गीता अध्ययन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम, भारतीय ज्ञान परंपरा में नेतृत्व सूत्र,एआई आधारित आंचलिक भाषा मॉडल, खगोलीय और आयुर्वेद केंद्रित बहुविषयक कोर्स, वैदिक गणित के बहुविषयक अनुप्रयोग, भारतीय भाषाओं के लोक साहित्य का संकलन, पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रयोगकर्ताओं का संकलन, प्राचीन मनोशास्त्र पद्धतियां सहित लगभग 24 से अधिक सुझाव मिले।
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